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इन्द्रिय अध्ययन
उ. गोयमा ! जहणेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण संखेज्जमासा।
प. पंचेंदियपज्जत्तए णं भंते ! पंचेंदियपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?
उ. गोयमा ! जहणेण अंतोमुहुत्तं,
उक्कोसेण सागरोवमसयपुहत्तं ' ।
- पण्ण. प. १८, सु. १२७१-१२८४
२९. एगिदियाह जीवाणं अंतरकाल परूवणंप. एगिंदियस्स णं भंते ! केवइयं कालं अंतरं होइ ?
उ. गोयमा ! जहणेण अंतोमुहुर्त,
दो सागरोवमसहस्साई संखेज्जवा
उक्कोसेण समन्महियाई ।
प. बेइंद्रियस्स णं भंते! अंतरं कालओ केवधिरं होइ ?
उ. गोयमा ! जहण्णेण अंतोमुहुत्तं,
उक्कोसेण वणस्सकालो।
एवं तेइंदियस्स चउरिंदियस्स पंचेंदियस्स ।
अपज्जत्तगाणं एवं चेव । पज्जत्तगाण वि एवं चेव । -जीवा. पीड. ४, सु. २०८
३०. सइंदियाणिंदिय जीवाणं अप्पबहुत्तंप. एएसि णं भंते! सइंदियाणं, एगिदियाणं, बेइंद्रियाणं, तेइंदियाणं, चउरिदियाणं, पंचेदियाणं, अणिदिवाण य करे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ?
उ. गोयमा ! १. सव्यत्योवा पंचेंदिया,
२. चउरिंदिया विसेसाहिया,
३. तेइंदिया विसेसाहिया,
४. बेइंदिया विसेसाहिया, ५. अनिंदिया अनंतगुणा,
६. एगिंदिया अनंतगुणारे, ७. सइंदिया विसेसाहिया ३ ।
प. एएसि णं भंते! सइंदियाणं, एगिंदियाणं, बेइंदियाणं, तेइंदियाणं चउरिदियाणं, पंचेंदियाणं अपजत्तगाणं
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कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा पंचेंदिया अपज्जत्तगा, २. चउरिंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ३. तेइंदिया अपजतगा विसेसाहिया, ४. बेइंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया,
५. एगिंदिया अपज्जत्तगा अनंतगुणा, ६. सइंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ।
प. एएसि णं भंते! सइंदियाणं, एगिंदियाणं, बेदियाणं, तेइंद्रियाणं, चउरिदियाणं, पंचेदिवाणं पज्जत्तगाणं कमरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया या ?
१. जीवा. पडि. ४, सु. २०८ (साइरेगं शब्द अधिक है) २. जीवा. पडि. ९, सु. २५०
उ. गौतम । (यह) जघन्य अन्तर्मुहूर्त,
उत्कृष्ट संख्यात मास।
प्र. भंते! पंचेन्द्रिय पर्याप्तक पंचेन्द्रिय पर्याप्तरूप में कितने काल तक रहता है ?
उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त,
उत्कृष्ट सागरोपम शत पृथक्त्व (दो सौ से नौ सौ पर्याप्त रूप में रहता है।
२९. एकेन्द्रिय जीवों के अंतर काल का प्ररूपण
प्र. भंते! एकेन्द्रिय का अन्तर काल कितना कहा गया है ? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त,
उत्कृष्ट संख्यात वर्ष अधिक दो हजार सागरोपम का कहा गया है।
प्र. भंते! द्वीन्द्रिय का अन्तर काल कितना कहा गया है ? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त,
उत्कृष्ट वनस्पतिकाल ।
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इसी प्रकार त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय का अंतर काल जानना चाहिए।
अपर्याप्तकों और पर्याप्तकों का भी अंतर काल इसी प्रकार कहना चाहिए।
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३०. सेन्द्रिय अनिन्द्रिय जीवों का अल्पबहुत्व
प्र. भते । इन सेन्द्रिय, एकेन्द्रिय, डीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय और अनिन्द्रियों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक है ?
उ. गौतम ! १. सबसे अल्प पंचेन्द्रिय जीव हैं, २. ( उनसे चतुरिन्द्रियजीव विशेषाधिक है.
३. ( उनसे प्रीन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं,
४. ( उनसे) द्वीन्द्रिय जीव विशेषाधिक है, ५. ( उनसे) अनिन्द्रिय जीव अनन्तगुणे हैं,
६. ( उनसे ) एकेन्द्रिय जीव अनन्तगुणे हैं, ७. (उनसे) सेन्द्रिय जीय विशेषाधिक है।
प्र. भंते! इन सेन्द्रिय, एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, और पंचेन्द्रिय अपर्याप्तकों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक है ?
उ. गौतम ! १. सबसे अल्प पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक हैं, २. ( उनसे) चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक है, ३. उनसे प्रीन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४. ( उनसे) द्वीन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक है, ५. ( उनसे ) एकेन्द्रिय अपर्याप्तक अनन्तगुणे हैं, ६. ( उनसे) सेन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं ।
प्र. भंते! इन सेन्द्रिय, एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, और पंचेन्द्रिय पर्याप्तक जीवों में कौन किनसे अल्प पावत् विशेषाधिक है ?
३. विया. स. २५, उ. ३ सु. ११८