________________
४८६
प. वंजणोग्गहे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते,तं जहा
१. सोइंदिय वंजणोग्गहे, २. घाणिंदियवंजणोग्गहे, ३. जिभिदिय वंजणोग्गहे,
४. फासिंदिय वंजणोग्गहे। प्र. अत्थोग्गहे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! छविहे अत्थोग्गहे पण्णत्ते,तंजहा
१. सोइंदिय अत्थोग्गहे, २. चक्विंदिय अत्थोग्गहे, ३. घाणिंदिय अत्थोग्गहे, ४. जिभिदिय अत्थोग्गहे, ५. फासिंदिय अत्थोग्गहे, ६. नोइंदिय अत्थोगहे।
द्रव्यानुयोग-(१) प्र. भन्ते ! व्यंजनावग्रह कितने प्रकार का कहा गया है ? उ. गौतम ! वह चार प्रकार का कहा गया है, यथा
१. श्रोत्रेन्द्रियावग्रह, २. घ्राणेन्द्रियावग्रह, ३. जिह्वेन्द्रियावग्रह,
४. स्पर्शेन्द्रियावग्रह। प्र. भन्ते ! अर्थावग्रह कितने प्रकार का कहा गया है। उ. गौतम ! अर्थावग्रह छह प्रकार का कहा गया है, यथा
१. श्रोत्रेन्द्रिय-अर्थावग्रह, २. चक्षुरिन्द्रिय-अर्थावग्रह, ३. घ्राणेन्द्रिय-अर्थावग्रह ४. जिह्वेन्द्रिय-अर्थावग्रह, ५. स्पर्शेन्द्रिय-अर्थावग्रह, ६. नोइन्द्रिय (मन)-अर्थावग्रह।
प. द.१.नेरइयाणं भंते ! कइविहे उग्गहे पण्णत्ते? उ. गोयमा !दुविहे उग्गहे पण्णत्ते,तंजहा
१.अत्थोग्गहे य, २.वंजणोग्गहे य। दं.२-११ एवं असुरकुमाराणंजाव थणियकुमाराणं।
प. द.१२ पुढविकाइयाणं भंते ! कइविहे उग्गहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! दुविहे उग्गहे पण्णत्ते,तं जहा
१.अत्थोग्गहे य,२. वंजणोग्गहे य। प. पुढविकाइयाणं भंते !कइविहे वंजणोग्गहे पण्णत्ते?
प्र. द.१. भन्ते ! नैरयिकों के कितने अवग्रह कहे गए हैं ? उ. गौतम ! दो प्रकार के अवग्रह कहे हैं, यथा
१. अर्थावग्रह, २. व्यंजनावग्रह। दं. २-११ इसी प्रकार असुरकुमारों से स्तनितकुमारों पर्यंत
कहना चाहिए। प्र. दं.१२ भन्ते ! पृथ्वीकायिकों के कितने अवग्रह कहे गए हैं ? उ. गौतम ! उनके दो अवग्रह कहे गए हैं, यथा
१. अर्थावग्रह, २. व्यंजनावग्रह। प्र. भन्ते ! पृथ्वीकायिकों के व्यंजनावग्रह कितने प्रकार के कहे
गए हैं? उ. गौतम ! उनके केवल एक स्पर्शेन्द्रिय व्यंजनावग्रह कहा
गया है। प्र. भन्ते ! पृथ्वीकायिकों के कितने अर्थावग्रह कहे गए हैं ? उ. गौतम ! उनके केवल एक स्पर्शेन्द्रिय अर्थावग्रह कहा गया है।
दं १३-१६. इसी प्रकार वनस्पतिकायिकों पर्यंत कहना चाहिए। दं. १७. द्वीन्द्रियों का व्यंजनावग्रह दो प्रकार का कहा गया है,
उ. गोयमा ! एगे फासिंदिय वंजणोग्गहे पण्णत्ते ।
प. पुढविकाइयाणं भंते ! कइविहे अत्थोग्गहे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! एगे फासिंदिय अत्थोग्गहे पण्णत्ते,
दं.१३-१६.एवं जाव वणप्फइकाइयाणं।
दं.१७. बेइंदियाणं वंजणोग्गहे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा
यथा
१.फासिंदिय वंजणोग्गहे,२.जिब्मिंदिय वंजणोग्गहे य, बेइंदियाणं अत्थोग्गहे दुविहे पण्णत्ते,तं जहा१.फासिंदिय अत्थोग्गहे,२,जिभिंदिय अत्थोग्गहे य, दं.१८.तेइंदियाणं वंजणोग्गहे तिविहे पण्णत्ते,तं जहा- '
१. फासिंदिय वंजणोग्गहे,२.जिभिंदिय वंजणोग्गहे, ३. पाणिंदिय वंजणोग्गहे, तेइंदियाणं अत्थोग्गहे तिविहे पण्णत्ते,तं जहा१. फासिंदिय अत्थोग्गहे,२.जिभिंदिय अत्थोग्गहे,
३. घाणिंदिय अत्थोग्गहे, ठाणं ठा.४,उ.३,सु.३३६
२. (क) सम.सम.६,सु.६
१. स्पर्शेन्द्रिय व्यंजनावग्रह, २. जिह्वेन्द्रिय व्यंजनावग्रह। द्वीन्द्रियों का अर्थावग्रह दो प्रकार का कहा गया है, यथा१. स्पर्शेन्द्रिय अर्थावग्रह, २. जिह्वेन्द्रिय अर्थावग्रह। द. १८ त्रीन्द्रियों का व्यंजनावग्रह तीन प्रकार का कहा गया है, यथा१. स्पर्शेन्द्रिय व्यंजनावग्रह, २. जिह्वेन्द्रिय व्यंजनावग्रह, ३. घ्राणेन्द्रिय व्यंजनावग्रह। त्रीन्द्रियों का अर्थावग्रह तीन प्रकार का कहा गया है, यथा१. स्पर्शेन्द्रिय अर्थावग्रह, २. जिह्वेन्द्रिय अर्थावग्रह, ३. घ्राणेन्द्रिय अर्थावग्रह।
(ख) नंदी सु.५४-५६
१.