________________
इन्द्रिय अध्ययन
१२. इंदिय निव्वत्तणा भेया चउवीसदंडएसु य परूवणंप. कइविहाणं भंते! इंदिव- निव्यत्तणा पण्णत्ता ?
उ. गोयमा पंचविहा इंदिय-निव्यत्तणा पण्णत्ता तं जहा१. सोइंदिय- निव्वत्तणा जाब ५. फासिदिय निव्यत्तणा । दं. १-२४ एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं ।
वरं - जस्स जइ इंदिया तस्स तावइया चेव, इंदिय निव्वत्तणा भाणियव्वा । पण्ण. प. १५, उ. २, सु. १००९ १३. इंदिय निव्क्तणा समया चडवीसदंडएस य परूवणं
प. सोइंदिय निव्वत्तणा णं भंते ! कइ समया पण्णत्ता ? उ. गोयमा ! असंखेज्जसमया अंतोमुहुत्तिया पण्णत्ता, एवं जाव फासिंदिय निव्यत्तणा समया,
दं. १ २४ एवं नेरइयाणं जाव वैमाणियाणं ।
णवर जस्स जइ इंदिया तस्स तावइया अंतोमुहुतिया समया भाणियव्वा । - पण्ण. प. १५, उ. २, सु. १०१० १४. इंदियकरण भेया चउबीसदंडएल य पलवर्णप. कइविहे णं भंते! इंदियकरणे पण्णत्ते ?
उ. गोयमा ! पंचविहे इंदियकरणे पण्णत्ते, तं जहा१- सोइंदियकरणे जाव ५ - फासिंदियकरणे, ६. १-२४ एवं रयाणं जाव वेमाणियाणं ।
णवरं जस्स जइ इंदियाइं तस्स तइ इंदियकरणाई । - विया. स. १९, उ. ९, सु. ६-७
-
१५. इंदियोवचय भेया चउवीसदंडएसु य परूवणंप. कइविहे णं भंते! इंदियोवचए पण्णत्ते ? उ. गोयमा ! पंचविहे इंदियोवचए पण्णत्ते, तं जहा
१. सोइंदिओवचए जाय ५ फासिंदिओवचए ६. १-२४ एवं रइयाणं जाव बेमाणियाणं ।
नवरं जस्स जइ इंदिया तस्स तविहो चैव इंदियोवचओ भाणियब्यो । १६. चउबीसदंडएस इंदियाणं संठाणाई छद्दार पत्रवर्ण
- पण्ण. प. १५, उ. २, सु.१००७-१००८
प. दं. १ पोरइयाणं भंते! कह इंदिया पण्णत्ता ? उ. गोयमा पचेदिया पण्णत्ता, तं जहा१. सोइदिए जाव ५. फार्सिदिए।
१. इन आठ दण्डकों में इन्द्रियाँ इस प्रकार हैं
(क) पांच स्थावर में एक स्पर्शेन्द्रिय,
(ख) द्वीन्द्रिय में दो इन्द्रियाँ -१ स्पर्शेन्द्रिय, २. रसेन्द्रिय
(ग) त्रीन्द्रिय में तीन इन्द्रियाँ - १. स्पर्शेन्द्रिय, २. रसेन्द्रिय, ३. घ्राणेन्द्रिय
१२. इन्द्रिय निर्वर्तना के भेद और चौबीस दंडकों में प्ररूपणप्र. भन्ते ! इन्द्रिय निर्वर्तना (निर्वृत्ति) कितने प्रकार की कही गई है ?
उ. गौतम ! इन्द्रिय निर्वर्तना पांच प्रकार की कही गई है, यथा१. श्रोत्रेन्द्रिय निर्वर्तना यावत् ५. स्पर्शेन्द्रिय निर्वर्तना ।
दं. १ २४ इसी प्रकार नैरयिकों से वैमानिकों पर्यन्त जानना चाहिए।
४८१
विशेष - जिसके जितनी इन्द्रियां होती हैं, उसकी उतनी ही इन्द्रिय निर्वर्तना कहनी चाहिए।
१३. इन्द्रिय निर्वर्तना का समय और चौबीसदंडकों में प्ररूपणप्र. भन्ते ! श्रोत्रेन्द्रिय निर्वर्तना कितने समय की कही गई है ? उ. गौतम ! असंख्यात समयों के अन्तर्मुहूर्त की कही गई है।
इसी प्रकार स्पर्शेन्द्रिय निर्वर्तना काल पर्यन्त कहना चाहिए। दं. १-२४ इसी प्रकार नैरयिकों से वैमानिकों पर्यन्त की इन्द्रिय निर्वर्तना का काल जानना चाहिए।
विशेष- जिसके जितनी इन्द्रियां होती हैं उसको उतनी ही अन्तर्मुहूर्त के समयों की निर्वर्तना कहनी चाहिए।
१४. इन्द्रिय करण भेद और चौबीसदंडकों में प्ररूपण
प्र. भन्ते ! इन्द्रिय-करण कितने प्रकार का कहा गया है ? उ. गौतम ! इन्द्रिय करण पांच प्रकार का कहा गया है, यथा
२.
३.
१. श्रोत्रेन्द्रिय करण यावत् ५. स्पर्शेन्द्रिय करण ।
दं. १-२४ इसी प्रकार गैरयिकों से वैमानिकों पर्यन्त इन्द्रिय करण कहना चाहिए।
विशेष- जिसके जितनी इन्द्रियां हों, उसके उतने ही इन्द्रिय करण कहने चाहिए।
१५. इन्द्रियोपचय भेद और बीबीसडकों में प्ररूपण
प्र. भन्ते ! इन्द्रियोपचय कितने प्रकार का कहा गया है ? उ. गौतम ! इन्द्रियोपचय पांच प्रकार का कहा गया है, यथा१. श्रोत्रेन्द्रियोपचय बावत ५. स्पर्शेन्द्रियोपचय।
दं. १ २४ इसी प्रकार नैरयिकों से वैमानिकों पर्यन्त इन्द्रियोपचय जानना चाहिए।
विशेष- जिसके जितनी इन्द्रियां होती है, उसके उतने ही प्रकार का इन्द्रियोपचय कहना चाहिए।
१६. चौबीस दण्डकों में इन्द्रियों के संस्थानादि के छ द्वारों का
प्ररूपण
प्र. दं. १ भन्ते ! नैरयिकों के कितनी इन्द्रियां कही गई हैं ? उ. गौतम ! उनके पांच इन्द्रियां कही गई हैं,
यथा
१. श्रोत्रेन्द्रिय यावत् ५. स्पर्शेन्द्रिय ।
(घ) चतुरिन्द्रिय में चार इन्द्रियाँ - १. स्पर्शेन्द्रिय, २. रसेन्द्रिय, ३. घ्राणेन्द्रिय, ४. इन्द्रिय
(ङ) शेष १६ दण्डकों में पांचों इन्द्रियां हैं।
विया. स. २०, उ. ४, सु. १
जीवा. पडि. १, सु. ३२