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४. जिम्मिंदिवस जहण्णिया उचओगद्धा विसेसाहिया,
५. फासेदिवस जहणिया उवगद्धा विसेसाहिया ।
उक्कोसियाए उवओगद्धाए
१. सव्वत्थोवा चक्खिंदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा, २. सोइंदियस्स उक्कोसिया उवोगद्धा विसेसाहिया,
३. घाणिंदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया,
४. जिब्भिदिवस्स उक्कोसिया उपओगद्धा विसेसाहिया,
५. फासिंदियस्स उक्कोसिया उपओगद्धा विसेसाहिया ।
कोसिया उवओगद्धाए
१. सव्वत्थोवा चक्खिंदियस्स जहण्णिया उवओगद्धा, / २. सोइंदियस्स जहण्णिया उवओगद्धा विसेसाहिया,
३. घाणिदियस्स जहण्णिया उवओगद्धा विसेसाहिया, ४. जिब्भिंदियस्स जहण्णिया उवओगद्धा विसेसाहिया,
५. फासेंदिवस जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया,
फासेंदिवस जहण्णिवाहितो उपओगद्धाहिंतो१. चक्खिदियस उक्कोसिया उव ओगद्धा विसेसाहिया, २. सोइदियस्स उक्कोसिया उब ओगद्धा विसेसाहिया,
३. घाणिदिवस उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया,
४. जिब्मिदियस्स उक्कोसिया उपओगद्धा विसेसाहिया, ५. फासेंदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया । - पण्ण. प. १५. उ. २, सु. १०१३
११. सव्विंदियणिव्वत्तीभेया चउवीसदंडएसु य परूवणंप. कइविहाणं भंते! सब्विदिवनिव्यत्ती पण्णत्ता ? उ. गोयमा ! पंचविहा सव्विंदियनिव्यत्ती पण्णत्ता, तं जहा१. सोइदियनिव्यत्ती जाय ५. फासिंदियनिव्वत्ती ।
दं. १-११ एवं नेरइया जाय धणियकुमाराणं ।
प. दं. १२ पुढविकाइयाणं भंते! कइविहा इंदियनिव्यती पण्णत्ता ?
उ. गोयमा ! एगा फासिंदियनिव्वत्ती पण्णत्ता ।
दं. १३-२४ एवं जस्स जइ इंदियाणि जाव वेमाणियाणं । -विया. स. १९, उ. ८, सु. ११.१४
द्रव्यानुयोग - (१)
जघन्य उपयोगकाल
जघन्य उपयोगकाल
४. ( उससे ) जिह्वेन्द्रिय का विशेषाधिक है,
५. ( उससे ) स्पर्शेन्द्रिय का विशेषाधिक है। उत्कृष्ट उपयोगकाल की अपेक्षा से
१. चक्षुरिन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगकाल सबसे अल्प है,
२. ( उससे ) श्रोत्रेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगकाल विशेषाधिक है.
३. ( उससे ) घ्राणेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगकाल विशेषाधिक है,
४. ( उससे ) जिह्वेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगकाल विशेषाधिक है,
५. ( उससे ) स्पर्शेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगकाल विशेषाधिक है।
जघन्योत्कृष्ट उपयोगकाल की अपेक्षा से
१. सबसे अल्प चक्षुरिन्द्रिय का जघन्य उपयोगकाल है, २. ( उससे ) श्रोत्रेन्द्रिय का जघन्य उपयोगकाल विशेषाधिक है,
जघन्य उपयोगकाल
जघन्य उपयोगकाल
जघन्य उपयोगकाल
३. (उससे) घ्राणेन्द्रिय का विशेषाधिक है,
४. (उससे) जिह्वेन्द्रिय का विशेषाधिक है,
५. (उससे) स्पर्शेन्द्रिय का विशेषाधिक है, स्पर्शेन्द्रिय के जघन्य उपयोगकाल से
१. चक्षुरिन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगकाल विशेषाधिक है, २. ( उससे ) श्रोत्रेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगकाल विशेषाधिक है,
का उत्कृष्ट उपयोगकाल
३. ( उससे) प्राणेन्द्रिय का विशेषाधिक है, ४. ( उससे) जिह्वेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगकाल विशेषाधिक है,
५. ( उससे ) स्पर्शेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगका विशेषाधिक है,
११. सर्वेन्द्रियनिर्वृत्ति के भेद और चौबीसदंडकों में प्ररूपणप्र. भन्ते सर्वेन्द्रियनिर्वृत्ति कितने प्रकार की कही गई है?
उ. गौतम ! सर्वेन्द्रियनिर्वृत्ति पांच प्रकार की कही गई है, यथा१. श्रोत्रेन्द्रियनिर्वृत्ति यावत् ५ . स्पर्शेन्द्रियनिर्वृत्ति ।
दं. १-११ इसी प्रकार नैरपिकों से स्तनितकुमारों पर्यन्त जानना चाहिए।
प्र. ६. १२ भन्ते ! पृथ्वीकायिक जीवों की कितनी इन्द्रियनिवृत्ति कड़ी गई है?
उ. गौतम | उनकी एक मात्र स्पर्शेन्द्रियनिर्वृत्ति कही गई है।
. १३-२४ इसी प्रकार जिसके जितनी इन्द्रियां हों, उसके उतनी इन्द्रियनिवृत्ति वैमानिकों पर्यन्त कहनी चाहिए।