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शरीर अध्ययन
८. सामित्त विवक्खया वेउब्विय सरीरस्स विविह भेयाप. बैउव्वियसरीरे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते ?
उ. गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा
१. एगिंदिय वेउव्वियसरीरे य २. पंचेन्दिय वेउव्वियसरीरे य' ।
प. जइ एगिदिय येउव्ययसरीरे किं वाउक्काइय एगिदिय वेउव्वियसरीरे अवाउक्काइय-एगिंदिय-वेउव्वियसरीरे ?
उ. गोयमा ! वाउक्काइय- एगिदिय येउव्वियसरीरे, ो अवाउकाइय-एगिंदिय-वेउव्वियसरीरे । प. जइ वाउक्काइय- एगिंदिय-वेउव्वियसरीरे किं सुहुमवाउक्काइय- एगिंदिय-वेउव्वियसरीरे बायर-वाउक्काइय - एगिंदिय- वेउव्वियसरीरे ?
उ. गोयमाणो सुम-बाउक्काइय-एगिदिय वेउव्वयसरीरे,
बायर बाउक्काइय- एगिदिय येउव्वियसरीरे।
प. जड़ बायर वाउक्काइय एगिदिय वेउब्वियसरीरेकिं पज्जत्तय-बायर-वाउक्काइय-एगिंदियवेउव्वियसरीरे, अपज्जत्तय-बायर वाउक्काइयएगिदिय वेउब्वियसरीरे ?
उ. गोयमा ! पज्जत्तय- बायर वाउक्काइय- एगिंदियवेउव्वियसरीरे,
-
णो अपज्जत्तय-बायर-वाउक्काइय-एगिंदियवेउव्वियसरीरे ।
प. जइ पंचेंदिय-वेउव्वियसरीरे किं णेरइय-पंचेंदियवेउव्वयसरीरे जाव किं देवपंचेंदिय-वेउव्वियसरीरे ?
उ. गोयमा ! णेरइय-पंचेदिय वेउव्वियसरीरे वि जाव देवपंचेंदिय-वेउव्वियसरीरे वि ।
प. ज णेरइय-पंचेदिय वेउव्वयसरीरे किं रयणसभापुढविणेरइय-पंचेंदिय-वेउव्वियसरीरे जाव किं अहेसत्तमा - पुढविनेरइय-पंचेंदिय-वेउव्वियसरीरे ?
उ. गोयमा ! रयणप्पभा-पुढविणेरइय-पंचेंदिय
वेव्वियसरीरे वि जाव अहेसत्तमा-पुढविणेरइयपंचेंद्रिय व्ययसरीरे वि
प्र. जन रयणष्पभा पुढविणेरइय-पंचेदिय वेडव्यियसरीरे,
किं पज्जतय रयणप्पभा पुढविणैरइय-पंचेंदिय वेउव्वियसरीरे,
अपजत्तव रयणप्पभा पुढविणेरइय-पंचेंदिय वेउब्वियसरीरे ?
उ. गोयमा ! पज्जत्तय - रयणप्पभा-पुढविणेरइय-पंचेंदिययसरीरे वि
१. सम. सु. १५२
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८. स्वामित्व की विवक्षा से वैक्रिय शरीर के विविध भेदप्र. भंते! वैक्रिय शरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? उ. गौतम ! वह दो प्रकार का कहा गया है, यथा
१. एकेन्द्रिय वैक्रिय शरीर, २. पंचेन्द्रिय वैक्रिय शरीर ।
प्र. यदि एकेन्द्रिय जीवों के वैक्रिय शरीर होता है, तो क्या
वायुकायिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है या अवायुकायिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है?
उ. गौतम । वायुकायिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है, अवायुकाधिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर नहीं होता है।
प्र. यदि वायुकायिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है, तो क्या सूक्ष्म वायुकायिक एकेन्द्रिय के होता है या बादर वायुकायिक एकेन्द्रिय के होता है ?
उ. गौतम ! सूक्ष्म वायुकाधिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर नहीं होता है,
किन्तु वादर वायुकायिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है। प्र. यदि बादर वायुकायिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है, तो क्या पर्याप्त बाद वायुकायिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है या अपर्याप्त बादर] वायुकायिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है?
उ. गौतम ! पर्याप्त बादर वायुकायिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है.
किन्तु अपर्याप्त बादर वायुकायिक एकेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर नहीं होता है।
प्र. यदि पंचेंद्रियों के वैक्रिय शरीर होता है, तो क्या नारक पंचेंद्रियों के वैक्रिय शरीर होता है यावत् देव पंचेंद्रियों के वैक्रिय शरीर होता है ?
उ. गौतम ! नारक पंचेन्द्रियों के भी वैक्रिय शरीर होता है यावत् देव पंचेंद्रियों के भी वैक्रिय शरीर होता है।
प्र. यदि नारक पंचेंद्रियों के वैक्रिय शरीर होता है, तो क्या रत्नप्रभा पृथ्वी नारक पंचेंद्रियों के वैक्रिय शरीर होता है यावत् अधः सप्तम पृथ्वी के नारक पंचेंद्रियों के वैक्रिय शरीर होता है?
उ. गौतम ! रत्नप्रभा पृथ्वी के नारक पंचेंद्रियों के भी वैक्रिय शरीर होता है यावत् अधः सप्तम पृथ्वी के नैरयिक पंचेंन्द्रियों के भी वैक्रिय शरीर होता है।
प्र. यदि रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है तो
क्या पर्याप्तक रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है या
अपर्याप्तक रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक पंचेन्द्रियों के वैक्रिय शरीर होता है ?
उ. गौतम ! पर्याप्तक रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक पंचेन्द्रियों के भी वैक्रिय शरीर होता है,