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द्रव्यानुयोग-(१) १०. योनि अध्ययन
१०. जोणी अज्झयणं
सूत्र
१. सीयाइ जोणी भेया चउवीसदंडएसुयपरूवणं
प. कइविहाणं भंते ! जोणी पण्णत्ता? उ. गोयमा !तिविहा जोणी पण्णत्ता,तं जहा
१.सीयाजोणी, २.उसिणाजोणी,३.सीओसिणाजोणी। प. द. १. नेरइयाणं भंते ! किं सीयाजोणी, उसिणाजोणी,
सीओसिणाजोणी? उ. गोयमा ! सीया वि जोणी, उसिणा वि जोणी, नो
सीओसिणाजोणी। प. द. २. असुरकुमाराणं भंते ! किं सीयाजोणी,
उसिणाजोणी, सीओसिणाजोणी? उ. गोयमा ! नो सीयाजोणी, नो उसिणाजोणी,
सीओसिणाजोणी। दं. ३-११.एवं जाव थणियकुमाराणं,
प. दं. १२. पुढविकाइयाणं भंते ! किं सीयाजोणी,
उसिणाजोणी,सीओसिणाजोणी? उ. गोयमा ! सीया वि जोणी, उसिणा वि जोणी, सीओसिणा ... विजोणी।
दं.१३,१५-१९.एवं आउ, वाउ, वणस्सइ, बेइंदिय, तेइंदिय,चउरिंदियाण वि पत्तेयं भाणियब्वं ।
१. शीतादि योनि भेद और चौबीस दंडकों में प्ररूपण
प्र. भन्ते ! योनि कितने प्रकार की कही गई है? उ. गौतम ! योनि तीन प्रकार की कही गई है, यथा
१.शीतयोनि, २. उष्णयोनि, ३. शीतोष्णयोनि। प्र. दं. १. भन्ते ! नैरयिकों की क्या शीत योनि है, उष्ण योनि है
अथवा शीतोष्ण योनि है? उ. गौतम ! (नैरयिकों की) शीत योनि भी है और उष्ण योनि भी
है, (किन्तु) शीतोष्ण योनि नहीं है। प्र. दं.२. भन्ते ! असुरकुमार देवों की क्या शीत योनि है, उष्ण
योनि है या शीतोष्ण योनि है? उ. गौतम ! उनकी शीत योनि और उष्ण योनि नहीं है, (किन्तु)
शीतोष्ण योनि है। द. ३-११. इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यंत योनियां जाननी
चाहिए। प. दं. १२. भन्ते ! पृथ्वीकायिकों की क्या शीत योनि है, उष्ण
योनि है या शीतोष्ण योनि है? उ. गौतम ! उनकी शीत योनि भी है, उष्ण योनि भी है और
शीतोष्ण योनि भी है। दं. १३, १५-१९. इसी प्रकार अप्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों की प्रत्येक की योनि जाननी चाहिये। द.१४. तेजस्कायिक जीवों की शीत योनि नहीं है, उष्ण योनि
है, शीतोष्ण योनि नहीं है। प. द. २० (क). भन्ते ! पंचेंद्रियतिर्यग्योनिक जीवों की क्या
शीत योनि है, उष्ण योनि है या शीतोष्ण योनि है ? उ. गौतम !(उनकी) योनि शीत भी है, उष्ण भी है और शीतोष्ण
भी है। (ख). सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों की योनि के विषय में
भी इसी प्रकार कहना चाहिए। प. (ग). भन्ते गर्भज पंचेंद्रिय तिर्यग्योनिकों की क्या शीत योनि
है, उष्ण योनि है या शीतोष्ण योनि है ? उ. गौतम ! उनकी शीत योनि, उष्ण योनि नहीं है, किन्तु शीतोष्ण
योनि है। प्र. द.२१ (क). भन्ते ! मनुष्यों की क्या शीत योनि है, उष्ण योनि
है या शीतोष्ण योनि है? उ. गौतम ! मनुष्यों की शीत-योनि भी है, उष्ण योनि भी है और
शीतोष्ण योनि भी है।
दं.१४.तेउक्काइयाणंनो सीया, उसिणा, नो सीओसिणा।
प. दं.२० (क). पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! किं सीता
जोणी, उसिणा जोणी,सीतोसिणा जोणी? उ. गोयमा ! सीता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, सीतोसिणा
विजोणी। (ख). सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं एवं चेव।
प. (ग).गब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्वजोणियाणं भंते !
किं सीता जोणी, उसिणा जोणी,सीतोसिणा जोणी? उ. गोयमा ! नो सीता जोणी, नो उसिणा जोणी, सीतोसिणा
जोणी। प. द.२१ (क). मणुस्साणं भंते ! किं सीता जोणी, उसिणा
जोणी, सीतोसिणा जोणी? उ. गोयमा ! सीता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, सीतोसिणा
विजोणी।
१(क) ठाणं, अ.३,उ.१.सु.१४८ (ख) सीओसिणजोणीया.सब्वे देवाय गमवक्कंती।
उसिणा य तेउकाए, दुह णिरए तिविह सेसाणं ॥
सीतोष्णयोनिकाः सर्वे, देवाश्च गर्भव्युत्कान्तिकाः। उष्णा च तेजस्काये, द्विधा-शीता उष्णा च-नरके, त्रिविधा शेषाणाम्॥
-इति अभयदेवीयस्थानांगसूत्रवृत्तिगतोद्धरणम्।