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द्रव्यानुयोग-(१) प्र. भन्ते ! गर्भज पंचेन्द्रिय- तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति
कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, ___उत्कृष्ट तीन पल्योपम की। प्र. भन्ते ! अपर्याप्त गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की
स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति
कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तीन पल्योपम की।
प. गब्भवतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवइयं
कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं,
उक्कोसेण तिण्णिं पलिओवमाई। प. अप्पज्जत्तय-गब्भवक्कंतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं
भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं, प. पज्जत्तय-गब्भवक्कंतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं
भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुहत्तूणाई।
-पण्ण. प.४, सु.३७२-३७४ असंखेज्ज-वासाउय-सन्नि-पंचेंदिय-तिरिक्ख-जोणियाणं उक्कोसेण तिण्णि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता।
-सम. सम.३.सु.१७ ३५. अत्यंगइय पंचेंदिय तिरिक्खजोणियाणं ठिई
असंखेज्ज-वासाउय-सन्नि-पंचेंदिय-तिरिक्ख-जोणियाणं अत्थेगइयाणं एगंपलिओवमाई ठिई पण्णत्ता।
-सम. सम.१, सु.३५ असंखेज्ज-वासाउय-सन्नि पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं अत्थेगइयाणं दो पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता।
सम. सम.२,सु.१२ ३६.तिरिक्खजोणित्थीणं ठिई
प. तिरिक्खजोणित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?
असंख्य वर्षों की आयु वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीवों की उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम की कही गई है।
३५. कतिपय पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों की स्थिति
असंख्य वर्षों की आयु वाले कतिपय संज्ञी पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिक जीवों की स्थिति एक पल्योपम की कही
असंख्य वर्षों की आयु वाले कतिपय संज्ञीपंचेन्द्रियतिर्यग्योनिक जीवों की स्थिति दो पल्योपम की
कही गई है। ३६.तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों की स्थिति
प्र. भन्ते ! तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों की स्थिति कितने काल की कही
उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट तीन पल्योपम की।
उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण तिण्णि पलिओवमाई।
-जीवा. पडि. २, सु. ४७ ३७. जलयर पंचेंदिय तिरिक्खजोणियाणं ठिईप. जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवइयं काल
ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णण अंतोमहत्तं, उक्कोसेण पुव्वकोडी'। प. अपज्जत्तय-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते !
केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं । प. पज्जत्तय-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते !
केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं,
उक्कोसेण पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणाई। प. सम्मुच्छिम-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते !
केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण पुव्वकोडी।
३७. जलचर पंचेंद्रिय तिर्यञ्चयोनिकों की स्थितिप्र. भन्ते ! जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति
कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट पूर्वकोटी की। प्र. भन्ते ! अपर्याप्त जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की ___स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की
स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पूर्वकोटी की। प्र. भन्ते ! सम्मूर्छिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की
स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौत्तम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट पूर्वकोटी की।
१. (क) अणु. कालदारे सु.३८७/२
(ख) उत्त.अ.३६, गा.१७५
(ग) जीवा. पडि.१, सु ३५