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८८. ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं ठिई
प. ईसाने कप्पे णं भंते परिग्गहियाण देवीण केवड काल टिई पण्णत्ता ?
उ. गोयमा ! जहणणेण साइरेगं पलिओनं, उक्कोसेण णय पलिओयमाई'।
प अपज्जत्तियाणं भंते ! ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?
उ. गोयमा ! जहणेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।
प. पज्जत्तियाणं भंते ! ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं केवड कालं ठिई पण्णत्ता ?
उ. गोयमा ! जहण्येण साइरेगं पलिओयमं अंतोमहत्तूर्ण,
उक्कोसेणं णव पलिओवमाई अंतोमुहुत्तूणाई । ८९. ईसाणिंदस्स अग्गमडिसीणं टिई
ईसाणस्स णं देविंदस्स (देवरण्णो) अग्गमहिसीण णव पलिओ माई ठिई पण्णत्ता। -ठाणं अ. ९, सु. ६८३/१
९०. ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीणं ठिई
प. ईसाणे कप्पे णं भंते! अपरिग्गहिंवाणं देवीण केवइय कालं टिई पण्णत्ता ?
उ. गोयमा ! जहण्णेण साइरेगं पलिओचम,
उक्कोसेण पणपण्णं पलिओदमाई।
प. अपज्जत्तियाणं भंते ! ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?
उ. गोयमा ! जहण्जेण वि उक्कोसेण वि अंतोमहतं ।
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प. पज्जत्तियाणं भंते ! ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीगं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?
उ. गोयमा ! जहणणेण साइरेगं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूर्ण, उक्कोसेण पणपण्णं पओिवमाई अंतोहुनाई।
- पण्ण प. ४, सु. ४१६
९१. इसादिस्स परिसागय देव-देवीण टिईप. ईसाणस्स णं भंते! देविंदरस देवरण्णोअभिंतरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?
मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?
बाहिरियाए परिसाए देवाण केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? उ. गोयमा ! ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो
अभितरियाए परिसाए देवाणं सत्त पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता । ३
१. (क) अणु. कालदारे सु. ३९१/३
(ख) जीवा. पडि. २, सु. ४७ (३) यह परिगृहीता देवी की स्थिति है। (ग) ठाणं. अ. ९, सु. ६८३ / २
८८. ईशान कल्प में परिगृहीता देवियों की स्थिति
प्र. भन्ते ईशानकल्प में परिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
द्रव्यानुयोग - (१)
उ. गौतम ! जघन्य एक पल्योपम से कुछ अधिक की, उत्कृष्ट नौ पल्पोपम की।
प्र. भन्ते ! ईशानकल्प में अपर्याप्त परिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की ।
प्र. भन्ते ईशानकल्प में पर्याप्त परिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
८९. ईशानेन्द्र की अग्रमहिषियों की स्थिति
२.
३.
उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम से कुछ अधिक की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहुर्त कम नौ पत्योपम की
देवेन्द्र (देवराज ईशान की अग्रमहिषियों की स्थिति नौ पत्योपम की कही गई है।
९०. ईशानकल्प में अपरिगृहीता देवियों की स्थिति
प्र. भन्ते ! ईशानकल्प में अपरिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
उ. गौतम ! जघन्य एक पल्योपम से कुछ अधिक की, उत्कृष्ट पचपन पल्योपम की।
प्र. भन्ते ! ईशानकल्प में अपर्याप्त अपरिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की ।
प्र. भन्ते ! ईशानकल्प में पर्याप्त अपरिगृहीता देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम साधिक पल्योपम की, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचपन पल्योपम की।
९१. ईशानेन्द्र की परिषदागत देव देवियों की स्थितिप्र. भन्ते ! देवेन्द्र देवराज ईशान की
आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उ. गौतम ! देवेन्द्र देवराज ईशान की
आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति सात पल्योपम कही गई है।
अणु. कालदारे सु. ३९१/३
ठाणं अ. ७ सु. ३७५