________________
आहार अध्ययन
३५७
प. जइ णं भंते ! मूला मूलजीवफुडा जाव बीया
बीयजीवफुडा, कम्हा णं भंते। वणस्सइकाइया आहारेंति? कम्हा परिणामेंति?
उ. गोयमा ! मूला मूलजीवफुडा पुढविजीवपडिबद्धा तम्हा
आहारेंति, तम्हा परिणामेंति।
एवं कंदा कंदजीवफुडा मूलजीवपडिबद्धा तम्हा आहारेंति, तम्हा परिणामेंति।
एवं जाव बीया बीयजीवफुडा, फलजीवपडिबद्धा तम्हा आहारेंति, तम्हा परिणामेंति।
- -विया. स.७, उ.३.सु.३-४ ७. जीवाईसु अणाहारगत्तं सव्वप्पाहारगत्तय समय परूवणं
प. जीवेणं भंते ! कं समयं “अणाहारगे" भवइ ?
उ. गोयमा ! पढमे समए सिय आहारगे, सिय अणाहारगे,
बिइए समए सिय आहारगे, सिय अणाहारगे,
तइए समए सिय आहारगे, सिय अणाहारगे,
प्र. भन्ते ! यदि मूल, मूलजीवों से स्पृष्ट होते हैं यावत् बीज, बीज
के जीवों से स्पृष्ट होते हैं, तो फिर भन्ते ! वनस्पतिकायिक जीव किस प्रकार से आहार करते हैं और किस तरह से उसे
परिणमाते हैं? उ. गौतम ! मूल, मूल के जीवों से व्याप्त हैं और वे पृथ्वी के जीव
के साथ सम्बद्ध होते हैं, इस तरह से वनस्पतिकायिक जीव आहार करते हैं और उसे परिणमाते हैं। इसी प्रकार कन्द, कन्द के जीवों के साथ स्पृष्ट होते हैं और मूल के जीवों से सम्बद्ध रहते हैं, तभी आहार करते हैं और तभी परिणमाते हैं। इसी प्रकार यावतु बीज, बीज के जीवों से व्याप्त होते हैं और वे फल के जीवों के साथ सम्बद्ध रहते हैं; इससे वे आहार
करते हैं और उसे परिणमाते है। ७. जीवादिकों में अनाहारकत्व और सर्वाल्पाहारकत्व के समय
का प्ररूपणप्र. भन्ते ! (परभव में जाता हुआ) जीव किस समय में अनाहारक
होता है? उ. गौतम ! जीव, प्रथम समय में कभी आहारक होता है और
कभी अनाहारक होता है, द्वितीय समय में भी कभी आहारक और कभी अनाहारक होता है, तृतीय समय में भी कभी आहारक और कभी अनाहारक होता है, परन्तु चौथे समय में निश्चित रूप से आहारक होता है। इसी प्रकार चौबीस ही दण्डकों में कहना चाहिए। सामान्य जीव और एकेन्द्रिय ही चौथे समय में आहारक होते हैं।
इनके सिवाय शेष जीव, तीसरे समय में आहारक होते हैं। प्र. भन्ते ! जीव किस समय में सबसे अल्प आहारक होता है ? उ. गौतम ! उत्पत्ति के प्रथम समय में या भव (जीवन) के अन्तिम
(चरम) समय में जीव सबसे अल्प आहार वाला होता है। दं.१-२४. इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त चौबीस ही दण्डकों में
कहना चाहिए। ८. उपपद्यमानादि चौबीस दंडकों में आहारण के चतुर्भगों का
प्ररूपणप्र. दं.१. भंते ! नारकों में उत्पन्न होता हुआ नारक जीव१. क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार
करता है, २. एक भाग से सर्वभाग को आश्रित करके आहार
करता है, ३. सर्व भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार ____ करता है, ४. सर्वभागों से सर्वभागों को आश्रित करके आहार
करता है?
चउत्थे समए नियमा आहारगे। एवं दंडओ भाणियव्यो जीवा य, एगिंदिया यचउत्थे समए
सेसा तइए समए, प. जीवे णं भंते ! कं समयं “सव्वप्पाहारए" भवइ? उ. गोयमा ! पढमसमयोववण्णए वा, चरमसमयभवत्थए वा,
एत्थ णं जीवे सव्वप्पाहारए भवइ। दं.१-२४. सव्वे दंडगा भाणियव्वा जाव वेमाणियाणं।
-विया. स.७, उ.१, सु. ३-४ ८. उववज्जमाणाईसु चउवीसदंडएसु आहारणस्स चउभंग
परूवणंप. दं.१. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जमाणे
१. किं देसेणं देसे आहारेइ,
२. देसेणं सव्वं आहारेइ,
साह,
३. सव्वेणं देसं आहारेइ,,
४. सव्वेणं सव्वं आहारेइ?