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स्थिति अध्ययन ६८. पिसायकुमारिंदकालस्स परिसागय देव देवीणं ठिई
प. कालस्स णं भंते ! पिसायकुमारिंदस्स पिसाय कुमाररण्णो
अभिंतरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?
- ३२१ ) ६८. पिशाचकुमारेन्द्र काल की परिषदागत देव-देवियों की
स्थितिप्र. भंते ! पिशाचकुमारेन्द्र पिशाचकुमारराज काल की
आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही
बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! पिशाचकुमारेन्द्र पिशाचकुमारराज काल की
बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! कालस्स णं पिसायकुमारिंदस्स पिसाय
कुमाररण्णो अभिंतरियाए परिसाए देवाणं अद्धपलिओवमं ठिई पण्णत्ता? मज्झिमियाए परिसाए देवाणं देसूणं अद्धपलिओवमं ठिई पण्णत्ता। बाहिरियाए परिसाए देवाणं साइरेगं चउभाग-पलिओवम ठिई पण्णत्ता। प. कालस्स णं भंते ! पिसायकुमारिदस्स पिसाय
कुमाररण्णो . अभिंतरियाए परिसाए देवीणं केवइयं काल ठिई पण्णत्ता? मज्झिमियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?
आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति आधे पल्योपम की कही गई है। मध्यम परिषदा के देवों की स्थिति कुछ कम आधे पल्योपम की कही गई है। बाह्य परिषदा के देवों की स्थिति कुछ अधिक चतुर्थ भाग
पल्योपम की कही गई है। प्र. भन्ते ! पिशाचकुमारेन्द्र पिशाचकुमारराज काल की
आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही
बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?
मध्यम परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है? बाह्य परिषदा की देवियों की स्थिति कितने काल की कही
गई है? उ. गौतम ! पिशाचकुमारेन्द्र पिशाचकुमारराज काल की
उ. गोयमा ! कालस्स णं पिसायकुमारिंदस्स पिसाय
कुमाररण्णो अभिंतरियाए परिसाए देवीणं साइरेगं चउभागपलिओवमं ठिई पण्णत्ता। मज्झिमियाए परिसाए देवीणं चउभागपलिओवमं ठिई पण्णत्ता। बाहिरियाए परिसाए देवीणं देसूणं चउभाग- पलिओवमं ठिई पण्णत्ता। एवं उत्तररिलस्स विणिरंतरं जाव गीयजसस्स।
-जीवा. पडि. ३, उ.२, सु. १२१ ६९. ओहेण जोइसियाए देवाणं ठिई
प. जोइसियाणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण पलिओवमट्ठभागो,
उक्कोसेण पलिओवमं वाससयसहस्समब्भहियं। प. अपज्जत्तयाणं भंते ! जोइसियाणं देवाणं केवइयं कालं
ठिई पण्णत्ता?
आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति कुछ अधिक चतुर्थ भाग पल्योपम की कही गई है। मध्यम परिषदा की देवियों की स्थिति चतुर्थ भाग पल्योपम की कही गई है। बाह्य परिषदा की देवियों की स्थिति कुछ कम चतुर्थ भाग पल्योपम की कही गई है। इसी प्रकार गीतयश पर्यन्त उत्तर दिशा के सभी व्यंतरेन्द्रों की
परिषदाओं के देव-देवियों की स्थिति जाननी चाहिए। ६९. सामान्यतःज्योतिषी देवों की स्थिति
प्र. भन्ते ! ज्योतिष्क देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उ. गौतम ! जघन्य पल्योपम के आठवें भाग की,
उत्कृष्ट एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम की। प्र. भन्ते ! अपर्याप्त ज्योतिष्क देवों की स्थिति कितने काल की
कही गई है?
(क) अणु. कालदारे सु. ३९० (इसमें जघन्य स्थिति कुछ अधिक पल्योपम
के आठवें भाग बताई है) (ख) उत्त. अ. ३६, गा. २२१ (उ.) (ग) उव.सु.७४ (उ.)
(घ) विया. स. १, उ. १.सु. ६/२३ (ङ) सम. सम.१.सु. ३ (उ.) (च) सूरिय. पा. १८, सु. ९८