________________
स्थिति अध्ययन प. पज्जत्तियाणं भंते ! वेमाणिणीणं देवीणं केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेण पणपण्णं पलिओवमाई अंतोमुहुत्तूणाई।
-पण्ण. प.४, सु. ४०८ ८0. सोहम्मे कप्पे देव-देवीणं ठिई
प. सोहम्मे कप्पेणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?
३२७ प्र. भन्ते ! पर्याप्त वैमानिक देवियों की स्थिति कितने काल की
कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचपन पल्योपम की।
उ. गोयमा !जहण्णेण पलिओवम,
उक्कोसेण दो सागरोवमाई। प. अपज्जत्तयाणं भंते ! सोहम्मे कप्पे देवाणं केवइयं कालं
ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। प. पज्जत्तयाणं भंते ! सोहम्मे कप्पे देवाणं केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं,
उक्कोसेण दो सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई, प. सोहम्मे कप्पेणं भंते ! देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?
८०. सौधर्म कल्प में देव-देवियों की स्थितिप्र. भन्ते ! सौधर्म कल्प में देवों की स्थिति कितने काल की कही
गई है? उ. गौतम ! जघन्य एक पल्योपम की,
उत्कृष्ट दो सागरोपम की। प्र. भन्ते ! सौधर्म कल्प में अपर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल
की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! सौधर्म कल्प में पर्याप्त देवों की स्थिति कितने काल की
कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम दो सागरोपम की। प्र. भन्ते ! सौधर्म कल्प में देवियों की स्थिति कितने काल की कही
उ. गौतम ! जघन्य एक पल्योपम की,
उत्कृष्ट पचास पल्योपम की। प्र. भन्ते ! सौधर्म कल्प में अपर्याप्त देवियों की स्थिति कितने काल
की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! सौधर्म कल्प में पर्याप्त देवियों की स्थिति कितने काल
की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचास पल्योपम की।
उ. गोयमा !जहण्णेण पलिओवर्म,
उक्कोसेण पण्णासं पलिओवमाई। प. अपज्जत्तियाणं भंते ! सोहम्मे कप्पे देवीणं केवइयं कालं
ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। प. पज्जत्तियाणं भंते ! सोहम्मे कप्पे देवीणं केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण पलिओवमं अंतोमुत्तूणं, उक्कोसेण पण्णास पलिओवमाई अंतोमुहत्तूणाई,
-पण्ण. प.४,सु.४०९-४१० ८१. सोहम्मे कप्पे अत्येगइयदेवाणं ठिई
सोहम्मे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं एगं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता।
-सम.सम.१, सु.४० सोहम्मे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं दो पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता।
-सम. सम.२, सु.१४ ८२. सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं ठिईप. सोहम्मे कप्पेणं भंते ! परिग्गहियाणं देवीणं केवइयं कालं
ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण पलिओवमं,
उक्कोसेण सत्त पलिओवमाइं। १. (क) अणु कालदारे सु. ३९१/२
(ख) उत्त. अ.३६, गा. २२२ (ग) ठाणं, अ. २, उ. ४, सु. १२४/२ (उ.) (घ) सम. सम.१, सु. ३९ (ज.)
८१. सौधर्म कल्प में कतिपय देवों की स्थिति
सौधर्म कल्प के कतिपय देवों की स्थिति एक पल्योपम की कही गई है। सौधर्म कल्प के कतिपय देवों की स्थिति दो पल्योपम की कही
गई है। ८२. सौधर्म कल्प में परिगृहीता देवियों की स्थितिप्र. भन्ते ! सौधर्म कल्प में परिगृहीता देवियों की स्थिति कितने
काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य एक पल्योपम की,
उत्कृष्ट सात पल्योपम की। (ङ) सम. सम. २, सु. १६ (ज.) २. (क) अणु. कालदारे सु. ३९१/२
(ख) जीवा. पडि. २, सु. ७९ (३) (यह परिगृहीता देवी की स्थिति है।) (ग) ठाणं. अ.७, सु. ५७५/३