________________
स्थिति अध्ययन
३०५
प्र. भन्ते ! अपर्याप्त सम्मूर्छिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक
जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त सम्मूर्छिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक
जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पूर्वकोटी की। प्र. भन्ते ! गर्भज जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की
स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट पूर्वकोटी की। प्र. भन्ते ! अपर्याप्त गर्भज जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों
की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त गर्भज जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों
की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पूर्वकोटी की।
प. अपज्जत्तय-सम्मुच्छिम-जलयर-पंचे दिय-तिरिक्ख
जोणियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। प. पज्जत्तय-सम्मुच्छिम-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं
भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं,
उक्कोसेण पुवकोडी अंतोमुहुत्तूणाई। प. गब्भवक्कंतिय-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते !
केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण पुव्वकोडी। प. अपज्जत्तय-गब्भवक्कंतिय-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्ख
जोणियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। प. पज्जत्तय-गब्भवक्कं तिय-जलयर-पंचेंदिय-तिरिक्ख
जोणियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण पुव्वकोडी अंतोमुहत्तूणाई।
-पण्ण. प.४, सु.३७५ ३७७ ३८. जलयर पंचिंदिय तिरिक्खजोणित्थीणं ठिईप. जलयर-तिरिक्वजोणित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण पुव्वकोडी।
-जीवा. पडि.२, सु.४७ ३९. चउप्पय थलवर पंचेंदिय तिरिक्खजोणियाणं ठिईप. चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते !
केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उः गोयमा !जहण्णेण अंतोमुत्तं,
उक्कोसेण तिण्णि पलिओवमाइं। प. अपज्जत्तय-चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं
भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। प. पज्जत्तय-चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं
भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं,
उक्कोसेण तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुत्तूणाई। प. सम्मुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं
भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं,
उक्कोसेण चउरासीई वाससहस्साई।
३८. जलचर पंचेंद्रिय तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों की स्थितिप्र. भन्ते ! जलचर तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों की स्थिति कितने काल
की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट पूर्वकोटी की।
३९. चतुष्पद स्थलचर पंचेंद्रिय तिर्यञ्चयोनिकों की स्थितिप्र. भन्ते ! चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की
स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट तीन पलयोपम की। प्र. भन्ते ! अपर्याप्त चतुष्पद स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक
जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक
जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तीन पल्योपम की। प्र. भन्ते ! सम्मूर्छिम चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक
जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट चौरासी हजार वर्ष की।
मात
१. (क) अणु.कालदारे सु. ३८७/२
(ख) जीवा पडि.१.सु.३५ २. जीवा. पडि.१,सु.३८
३. (क) अणु.कालदारे सु.३८७/२
(ख) जीवा. पडि.१,सु.३८ ४. अणु.कालदारे सु.३८७/३