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प. अपज्जत्तय-सुहुमवाउकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। प. पज्जत्तय-सुहुमवाउकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्त। प. बादरवाउकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?
द्रव्यानुयोग-(१) प्र. भन्ते ! अपर्याप्त सूक्ष्म वायुकायिक जीवों की स्थिति कितने
काल की कही गई है ? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त सूक्ष्म वायुकायिक जीवों की स्थिति कितने काल - की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! बादर वायुकायिकों की स्थिति कितने काल की कही
गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट तीन हजार वर्ष की। प्र. भन्ते ! अपर्याप्त बादर वायुकायिक जीवों की स्थिति कितने
काल की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त बादर वायुकायिक जीवों की स्थिति कितने काल
की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तीन हजार वर्ष की।
उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहत्तं,
उक्कोसेण तिण्णि वाससहस्साइं। प. अपज्जत्तय-बादरवाउकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुत्त। प. पज्जत्तय-बादरवाउकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा ! जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण तिण्णि वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई।
-पण्ण. प.४, सु. ३६३-३६५ २८. वणस्सइकाइयाणं ठिईप. दं. १६. वणस्सइकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहत्तं,
उक्कोसेण दस वाससहस्साई। प. अपज्जत्तय-वणस्सइकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। प. पज्जत्तय-वणस्सइकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहत्तं,
उक्कोसेण दस वाससहस्साइं अंतोमुत्तूणाई५। सुहुमवणस्सइकाइयाणं १: ओहियाणं २. अपज्जत्तयाणं
३. पज्जत्ताण यजहण्णेण वि, उक्कोसेण वि अंतोमुत्त। प. बादरवणस्सइकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई
पण्णत्ता? उ. गोयमा !जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, .
उक्कोसेण दस वाससहस्साईं।
२८. वनस्पतिकायिक जीवों की स्थितिप्र. दं.१६. भन्ते ! वनस्पतिकायिक जीवों की स्थिति कितने काल
की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट दस हजार वर्ष की। प्र. भन्ते ! अपर्याप्त वनस्पतिकायिक जीवों की स्थिति कितने
काल की कही गई है? उ. गौतम! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की, उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की। प्र. भन्ते ! पर्याप्त वनस्पतिकायिक जीवों की स्थिति कितने काल
की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की। सूक्ष्म वनस्पतिकायिकों के १. औधिक २. अपर्याप्तको
३. पर्याप्तकों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की है। प्र. भन्ते ! बादर वनस्पतिकायिक जीवों की स्थिति कितने काल
की कही गई है? उ. गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की,
उत्कृष्ट दस हजार वर्ष की।
१. (क) अणु.कालदारे सु.३८५/४
(ख) जीवा. पडि.५,सु.२११ २. "ठाणं.अ.३,उ.१.सु.१५३/२ ३. (क) अणु.कालदारे सु.३८५/४
(ख) जीवा.पडि.१.सु.२६ (ग) जीवा. पडि.५,सु.२११ (घ) विया.स.१,उ.१,सु.६/१५
४. (क) अणुं कालदारे सु.३८५/५
(ख) उत्त.अ.३६,गा.१०२ (ग) जीवा.पडि.१.सु.२१ (घ) जीवा.पडि.५, सु.२११ (ङ) जीवा.पडि.८,सु.२२८
५. जीवा. पडि.५, सु.२११ ६. अणु.कालदारे सु.३८५/५ ७. (क) ठाणं.अ.१०.सु.७५७/७
(ख) सम.सम.१०.सु.१७