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द्रव्य अध्ययन २. भुयपरिसप्प-थलयर पंचेंदिय तिरिक्ख जोणिए य।
एवं सम्मुच्छिमा पज्जत्ता अपज्जत्ता य, गब्भवतिया वि पज्जत्ता अपज्जत्ताय माणियव्वा। अविसेसिए-खयहर पंचेंदिय तिरिक्ख जोणिए, विसेसिए-१.सम्मुच्छिमखयहरपंचेंदिय तिरिक्ख जोणिए य, २.गब्भवक्वतिय खयहर पंचेंदिय तिरिक्ख जोणिए य। अविसेसिए-सम्मुच्छिम खयहर पंचेंदिय तिरिक्ख जोणिए,
२. भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक ये दो विशेषित नाम होंगे। इसी प्रकार सम्मूर्छिम के पर्याप्त और अपर्याप्त तथा गर्भज के पर्याप्त और अपर्याप्त प्रकारों का भी कथन कर लेना चाहिए। खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक को अविशेषित मानने पर१. सम्मूर्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक, २ गर्भज खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक ये दो विशेषित नाम होंगे। सम्मूर्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक को अविशेषित मानने
१. पर्याप्त सम्मूर्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक, २. अपर्याप्त सम्मूर्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक ये दो विशेषित नाम होंगे।
गर्भज खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक को अविशेषित मानने पर१. पर्याप्त गर्भज खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक,
२. अपर्याप्त गर्भज खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक ये दो विशेषित नाम होंगे। मनुष्य को अविशेषित मानने पर१ सम्मूर्छिम मनुष्य, २. गर्भज मनुष्य ये दो विशेषित नाम होंगे।
विसेसिए-१. पज्जत्तय सम्मुच्छिम खयहर पंचेंदिय तिरिक्ख जोणिए य, २. अपज्जत्तय सम्मुच्छिमखयहरपंचेंदिय तिरिक्ख जोणिए य। अविसेसिए-गब्भवकंतिय खयहर पंचेंदिय तिरिक्ख जोणिए, विसेसिए-१. पज्जत्तय गब्भवक्कंतिय - खयहरपंचेंदिय तिरिक्ख जोणिए य, २. अपज्जत्तय - गब्भवतिय - खयहर - पंचेंदियतिरिक्ख जोणिए य। अविसेसिए-मणुस्से, विसेसिए १. सम्मुच्छिम मणुस्से य, २. गब्भवक्कंतिय मणुस्से या अविसेसिए गब्भवक्कंतिय-मणुस्से, विसेसिए-१.पज्जत्तय-गब्भवतिय-मणुस्से य, २. अपज्जत्तय-गब्भवक्कंतिय-मणुस्से य। अविसेसिए-देवे, विसेसिए-१. भवणवासी, २. वाणमंतरे ३. जोइसिए, ४. वेमाणिए य। अविसेसिए-भवणवासी, विसेसिए-१. असुरकुमारे, २. नागकुमारे, ३. सुवण्णकुमारे, ४. विज्जुकुमारे, ५. अग्गिकुमारे, ६. दीवकुमारे, ७. उदधिकुमारे, ८. दिसाकुमारे, ९. वाउकुमारे १०.थणियकुमारे। सव्वेसि पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय- अपज्जत्तय-भेया भाणियव्वा। अविसेसिए-वाणमंतरे, विसेसिए-१. पिसाए २. भूए, ३. जक्वे, ४. रक्खसे, ५. किण्णरे, ६. किंपुरिसे,७. महोरगे, ८. गंधब्वे। एएसि पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय- अपज्जत्तय-भेया भाणियव्या। अविसेसिए-जोइसिए, विसेसिए-१. चंदे, २. सूरे, ३. गहे, ४. नक्खत्ते, ५. तारारूवे।
गर्भज मनुष्य को अविशेषित मानने पर१. पर्याप्त गर्भज मनुष्य, २. अपर्याप्त गर्भज मनुष्य ये दो विशेषित नाम होंगे। देव को अविशेषित मानने पर१. भवनवासी,२. वाणव्यन्तर,३.ज्योतिष्क, ४. वैमानिक ये चार विशेषित नाम होंगे। भवनवासी को अविशेषित मानने पर१. असुरकुमार, २. नागकुमार, ३. सुपर्णकुमार, ४. विद्युत्कुमार, ५. अग्निकुमार, ६. द्वीपकुमार, ७. उदधिकुमार, ८. दिक्कुमार, ९. वायुकुमार, १०.स्तनितकुमार ये दस विशेषित नाम होंगे।
इनमें से प्रत्येक को अविशेषित मानने पर उनके पर्याप्त और अपर्याप्त ये दो प्रकार के विशेषित नाम होंगे। वाणव्यन्तर देव को अविशेषित मानने पर१. पिशाच, २. भूत, ३. यक्ष, ४. राक्षस, ५. किन्नर, ६. किंपुरुष, ७. महोरग, ८. गंधर्व ये आठ विशेषित नाम होंगे। इनमें से प्रत्येक को अविशेषित मानने पर-उनके पर्याप्त और अपर्याप्त ये दो प्रकार के विशेषित नाम होंगे। ज्योतिष्क देव को अविशेषित मानने पर१. चन्द्र, २. सूर्य, ३. ग्रह, ४. नक्षत्र, ५. तारे, ये पाँच विशेषित नाम होंगे।
टिप्पणी- १.इस पाठ के बाद सभी प्रतियों में सम्मुर्छिम मनुष्य के पर्याप्त अपर्याप्त दो भेद मिलते हैं किन्तु वह पाठ अशुद्ध है क्योंकि आगमों में सम्मूर्छिम मनुष्य
अपर्याप्त ही कहे गये हैं, पर्याप्त नहीं कहे गये हैं।