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द्रव्य अध्ययन
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उ. अणाणुपुव्वी एयाए चेव एगांदियाए एगुत्तरियाए
छ-गच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरुवूणो।
से तं अणाणुपुची
-अणु.सु. १३२-१३४ ४. विसेसाविसेस विवक्खया दव्व भेयप्पभेया
अहवा दुनामे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा१.विसेसिएय २.अविसेसिए य। अविसेसिए दव्वे, विसेसिए १.जीव दवे य, २. अजीव दब्वे य।
अविसेसिएजीव दव्वे, विसेसिए-१.णेरइए, २.तिरिक्खजोणिए, ३. मणुस्से, ४.देवे। अविसेसिएणेरइए, विसेसिए-१.रयणप्पभाए,२.सक्करप्पभाए,३.वालुयप्पभाए, ४.पंकप्पभाए, ५.धूमप्पभाए ६.तमाए,७.तमतमाए।
अविसेसिए-रयणप्पभापुढविणेरइए, विसेसिए पज्जत्तए य अपज्जत्तएय एवं जाव अविसेसिए तमतमापुढविणेरइए,
उ. एक से प्रारम्भ कर एक एक की वृद्धि करने पर छह पर्यन्त
स्थापित श्रेणी के अंकों में परस्पर गुणा करने से प्राप्त राशि में से आदि और अन्त के दो रूपों (संख्या) को कम करने पर अनानुपूर्वी बनती है।
यह अनानुपूर्वी का क्रम हुआ। ४. विशेष-अविशेष की विवक्षा से द्रव्यों के भेद प्रभेद
अपेक्षादृष्टि से द्विनाम दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. विशेषित २.अविशेषित। द्रव्य यह अविशेषित (सामान्य) नाम है और जीव द्रव्य एवं अजीवद्रव्य ये विशेषित (उत्तर) भेद होंगे। जीवद्रव्य को अविशेषित मानने पर१. नारक, २. तिर्यञ्चयोनिक, ३. मनुष्य, ४. देव ये चार विशेषित नाम होंगे। नारक को अविशेषित मानने पर१. रत्नप्रभा, २. शर्कराप्रभा, ३. बालुकाप्रभा, ४. पंकप्रभा, ५. धूमप्रभा, ६. तमःप्रभा, ७. तमस्तमप्रभा का नारक, ये सात विशेषित नाम होंगे। रत्नप्रभा पृथ्वी नारक को अविशेषित मानने पर उनके पर्याप्त और अपर्याप्त नारक ये दो प्रकार विशेषित नाम होंगे। इसी प्रकार तमस्तमप्रभा पृथ्वी के नारक पर्यन्त को अविशेषित मानने पर पर्याप्त और अपर्याप्त ये (चौदह प्रकार) विशेषित नाम होंगे। तिर्यञ्चयोनिक को अविशेषित मानने पर१. एकेन्द्रिय, २. द्वीन्द्रिय,३.त्रीन्द्रिय, ४.चतुरिन्द्रिय, ५.पंचेन्द्रिय ये पांच विशेषित नाम होंगे। एकेन्द्रिय को अविशेषित मानने पर१. पृथ्वीकाय, २. अकाय, ३. तेजस्काय, ४. वायुकाय, ५. वनस्पतिकाय ये पांच विशेषित नाम होंगे। पृथ्वीकाय को अविशेषित मानने पर १. सूक्ष्म पृथ्वीकाय, २. बादर पृथ्वीकाय ये दो विशेषित नाम होंगे। सूक्ष्म पृथ्वीकाय को अविशेषित मानने पर१. पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकाय, २. अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकाय ये दो विशेषित नाम होंगे। बादरपृथ्वीकाय को अविशेषित मानने पर१. पर्याप्त बादरपृथ्वीकाय, २. अपर्याप्त बादर पृथ्वीकाय ये दो विशेषित नाम होंगे। इसी प्रकार २ अप्काय, ३ तेजस्काय, ४ वायुकाय, ५ वनस्पतिकाय को अविशेषित मानने पर अनुक्रम से उनके पर्याप्त और अपर्याप्त ये (दस प्रकार) विशेषित नाम जानने चाहिए।
विसेसिए पज्जत्तए य अपज्जत्तएय।
अविसेसिए तिरिक्ख-जोणिए, विसेसिए-१. एगिदिए, २. बेइंदिए, ३. तेइंदिए, ४.चउरिंदिए, ५.पंचिंदिए। अविसेसिए एगिदिए, विसेसिए-१. पुढविकाइए, २. आउकाइए, ३. तेउकाइए, ४.वाउकाइए, ५.वणस्सइकाइए। अविसेसिए-पुढविकाइए, विसेसिए-१.सुहुमपुढविकाइए य, २. बायरपुढविकाइए य। अविसेसिए सुहमपुढविकाइए, विसेसिए-१.पज्जत्तय-सुहुमपुढविकाइए य, २.अपज्जत्तय-सुहुमपुढविकाइए य। अविसेसिए बायरपुढविकाइए, विसेसिए-१.पज्जत्तय-बायरपुढविकाइए य, २.अपज्जत्तय-बायरपुढविकाइए य। एवं २.आउकाइएय,३.तेउकाइए य, ४. वाउकाइए य५. वणस्सईकाइएय एवं अविसेसिए विसेसिए य पज्जत्तय–अपज्जत्तयभेदेहिं भाणियव्वा।
अविसेसिए बेइंदिये, विसेसिए १. पज्जत्तय बेइंदिए य,२.अपज्जत्तय बेइंदिए य। एवं तेइंदिय-चउरिंदिय विभाणियव्वा।
द्वीन्द्रिय को अविशेषित मानने पर१. पर्याप्त द्वीन्द्रिय, २. अपर्याप्त द्वीन्द्रिय ये दो विशेषित नाम होंगे। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय के लिए भी जानना चाहिए।