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जीव अध्ययन
- १२७ ) प्र. परिसर्पियां कितने प्रकार की हैं ? उ. परिसर्पियां दो प्रकार की कही गई हैं, यथा
१. उरपरिसर्पियां, २. भुजपरिसर्पियां। प्र. उरपरिसर्पियां कितने प्रकार की हैं ? उ. उरपरिसर्पियो तीन प्रकार की कही गई हैं, यथा
१. सर्पिणियां, २. अजगरियां, ३. महोरगियां। प्र. भुजपरिसर्पियां कितने प्रकार की हैं ? उ. भुजपरिसर्पियो अनेक प्रकार की कही गई हैं, यथा
गोधिकाएं, नकुलिकाएं, सेहाएं, सलिकाएं, किरकोटिकाएं, खरगोशिकाएं, सेरेन्ध्रियां, खाराएं, पंचलौकिकाएं, चतुष्पदिकाएं,चुहियाएं, मुंगुसिकाएं,घरोलिकाएं,जाहिकाएं,
खीरविरालिकाएं। प्र. खेचरियां कितने प्रकार की हैं ? उ. खेचरियां चार प्रकार की कही गई हैं, यथा
१ चर्म पक्षिकाएं यावत् ४ वितत पक्षिकाएं।
प. से किं तं परिसप्पीओ? उ. परिसप्पीओ दुविहाओ पण्णत्ताओ, तंजहा
१. उरपरिसप्पीओ य, २. भुयपरिसप्पीओ य। प. से किं तं उरपरिसप्पीओ? उ. उरपरिसप्पीओ तिविहाओ पण्णत्ताओ,तं जहा
१. अहीओ, २. अयगरीओ, ३. महोरगीओ य। प. से किं तं भुयपरिसप्पीओ? उ. भुयपरिसप्पीओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ,तं जहा
गोहीओ, णउलीओ, सेधाओ, सल्लीओ, सरडीओ. सरंधीओ, साराओ, खाराओ, पचलाइयाओ, चउप्पइयाओ, मूसियाओ, मुगुंसियाओ, घरोलियाओ,
जाहियाओ,छीरविरालियाओ। प. से किं तं खहयरीओ? उ. खहयरीओ चउविहाओ पण्णत्ताओ,तं जहा१ चम्मपक्खीओ जाव ४ विततपक्खीओ।
-जीवा. पडि. २ सु. ४५ (१) (२) मणुस्सित्थियाओप. से किं तं मणुस्सित्थियाओ? उ. मणुस्सित्थियाओ तिविहाओ पण्पात्ताओ, तं जहा
१. कम्मभूमियाओ, २. अकम्मभूमियाओ,
३. अंतरदीवियाओ। प. से किं तं अंतरदीवियाओ? उ. अंतरदीवियाओअट्ठावीसइविहाओपण्णत्ताओ,तं जहा
१ एगोरुइयाओ जाव २८ सुद्धदंताओ। प. से किं तं अकम्भभूमियाओ? उ. अकम्मभूमियाओ तीसइविहाओ पण्णत्ताओ, तंजहा
पंचसु हेमवएसु, पंचसु एरण्णवएसु, पंचसु हरिवासेसु,
पंचसु रम्मगवासेसु, पंचसु देवकुरासु,पंचसु उत्तरकुरासु। प. से किं तं कम्मभूमियाओ? उ. कम्मभूमियाओ पण्णरसविहाओ पण्णत्ताओ,तं जहापंचसु भरहेसु, पंचसु एरवएसु, पंचसु महाविदेहेसु।
-जीवा. पडि. २. सु. ४५ (२) (३) देवित्थियाओप. से किं तं देवित्थियाओ? उ. देवित्थियाओ चउविहाओ पण्णत्ताओ,तं जहा
१. भवणवासिदेवित्थियाओ, २. वाणमंतरदेवित्थियाओ, ३. जोइसियदेवित्थियाओ,
(२) मनुष्य स्त्रियांप्र. मनुष्य स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? उ. मनुष्य स्त्रियां तीन प्रकार की कही गई हैं, यथा
१. कर्मभूमिकाएं, २. अकर्मभूमिकाएं,
३. अन्तरद्वीपिकाएं। प्र. अन्तरद्वीपिकाएं कितने प्रकार की हैं ? उ. अन्तरद्वीपिकाएं अट्ठाईस प्रकार की कही गई हैं, यथा
१ एकोरुकीकाएं यावत् २८ शुद्धदन्ताएं। प्र. अकर्मभूमिकाएं कितने प्रकार की हैं ? उ. अकर्मभूमिकाएं तीस प्रकार की कही गई है, यथा
पांच हेमवतों में, पांच ऐरण्यवतों में, पांच हरिवर्षों में, पांच
रम्यक् वर्षों में, पांच देवकुरुओं में, पांच उत्तरकुरुओं में। प्र. कर्मभूमिकाएं कितने प्रकार की हैं ? उ. कर्मभूमिकाएं पन्द्रह प्रकार की कही गई हैं, यथा
पांच भरतों में, पांच एरवतों में, पांच महाविदेहों में।
(३) देव स्त्रियांप्र. देव स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? उ. देव स्त्रियां चार प्रकार की कही गई हैं, यथा
१. भवनवासी देव स्त्रियां, २. वाणव्यन्तर देव स्त्रियां, ३. ज्योतिषिक देव स्त्रियाँ,
१. ठाणं. अ. ३, उ.१,सु. १३९/१