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६८. पंचेंदिय तिरिक्खजोणियजीवपण्णवणा भेया
प. से किं तं पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया ? उ. पंचेंद्रिय - तिरिक्खजोणिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा१. जलयरपंचेंद्रिय - तिरिक्खजोणिया, २. थलयरपंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया, ३. खहयरपर्वेदिय तिरिक्खजोणिया ।
- पण्ण. प. १, सु. ६१
१. जलयराणं पण्णवणा
प. से किं तं जलयरपंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया ?
उ. जलयरपंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया पंचविहा पण्णत्ता, २. कच्छहा, ३. गाहा, ५. सुंसुमारा ।
तं जहा- १. मच्छा, ४. मगरा,
प. (२) से किं तं मच्छा ?
उ. मच्छा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा
सहमच्छा खवल्लमच्छा जुगमच्छा विज्झिडियमच्छा हलिमच्छा मग्गरिमच्छा रोडियमच्छा हलीसागारा गागरा वडा चडगरा तिमी तिमिगिला णका तंदुलमच्छा कणिक्कामच्छा सालिसमिच्छयामच्छा लंभणमच्छा पड़ागपडागातिपडागा
जे यावऽण्णे तहप्पगारा।
सेतं मच्छारे। तिविहा मच्छा पण्णत्ता, तं जहा१. अंडया, २. पोतया, ३. संमुच्छिमा अंडया मच्छा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा१ इत्थी, २. पुरिसा, ३ . णपुंसगा । पोतया मच्छा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा१ . इत्थी, २. पुरिसा, ३ . णपुंसगा ।
-ठाणं. अ. ३, उ. १, सु. १३८/१-३
प. (२) से किं तं कच्छभा ? उ. कच्छभा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा१. अट्ठिकच्छभा य, २ . मंसकच्छभा य । सेतं कच्छभा ।
प. (३) से किं तं गाहा ?
उ. गाहा पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा१. दिली २. वेढला
४. पुलगा, ५. सीमागारा
से तं गाहा।
प. (४) से किं तं मगरा ?
उ. मगरा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा
-पण्ण. प. १, सु. ६२-६३
१. (क) उत्त. अ. ३६, गा. १७१
(ख) जीवा. पडि. ३, सु. ९६ (२)
२. (क) उत्त. अ. ३६, गा. १७२
३. मुढया,
६८. पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की प्रज्ञापना के भेदप्र. पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक कितने प्रकार के हैं ?
उ. पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा
३.
द्रव्यानुयोग - ( १ )
१. जलचर- पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक,
२. स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक,
३. खेचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक ।
१. जलचर जीवों की प्रज्ञापना
प्र. जलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनि कितने प्रकार के हैं?
उ. जलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक पांच प्रकार के कहे गए हैं। १. मत्स्य, २. कच्छप, ३. ग्राह, ४. मगर, ५. सुंसुमार।
यथा
प्र. (१) मत्स्य कितने प्रकार के हैं ? उ. मत्स्य अनेक प्रकार के कहे गए हैं, यथा
श्लक्ष्णमत्स्य, खवल्लमत्स्य, युगमत्स्य, विज्झिडियमत्स्य, हलिमत्स्य, मकरीमत्स्य, रोहितमत्स्य, हलीसागर, गागर, बट, वटकर, तिमि, तिमिंगल, नक्र, तन्दुलमत्स्य, कणिक्कामत्स्य, शालिशस्त्रिक मत्स्य, लंभनमत्स्य, पताका और
पताकातिपताका।
इसी प्रकार के जो भी अन्य प्राणी हैं, वे सब मत्स्यों के अन्तर्गत समझने चाहिए।
यह मत्स्यों की प्ररूपणा हुई।
मत्स्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. अंडज, २. पोत, ३. संमूचिईम
अंडज मत्स्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. स्त्री, २. पुरुष, ३. नपुंसक
पोत मत्स्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. स्त्री, २. पुरुष, ३. नपुंसक ।
प्र. (२) कच्छप कितने प्रकार के कहे हैं ? उ. कच्छप दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. अस्थिकच्छप, २. मांसकच्छप । यह कच्छप की प्ररूपणा हुई।
प्र. (३) ग्राह कितने प्रकार के हैं ?
यथा
उ. ग्राह ( घड़ियाल ) पांच प्रकार के कहे गए हैं, १. दिली, २. वेढल, ३. मूर्धज, ४. पुलक, ५. सीमाकार।
- यह ग्राह की प्ररूपणा हुई।
प्र. (४) मगर कितने प्रकार के गये कहे हैं ?
उ. मगर (मगरमच्छ) दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा
(ख) जीवा. पडि. १, सु. ३५
(ग) जीवा. पडि. १, सु. ३८ जीवा. पडि. १, सु. ३५