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प्रथम- अप्रथम अध्ययन
८. पढमापढम अज्झयणं
सूत्र
१. पढमापढम लक्खणं
जो पत्तो, सो तेणऽपढमओ होई । सेसेसु होइ पढमो, अपतपुळेसु भावेसु ॥
- विया. स. १८, उ. १, सु. ६३
२. जीव-बडवीसदंडएस सिसु य चउदसदारेहिं पढमापढमत्त
परूवणं
ते काणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासि
१. जीव दारं
प. जीवे णं भंते! जीवभावेणं किं पढमे, अपढमे ?
उ. गोयमा ! नो पढमे, अपढमे ।
दं. १-२४. एवं नेरइए जाव वेमाणिए ।
प. सिद्धे णं भंते! सिद्धभावेणं किं पढमे, अपढमे ?
उ. गोयमा ! पढमे, नो अपढमे ।
प. जीवा णं भंते! जीवभावेणं किं पढमा, अपढमा ?
उ. गोयमा ! नो पढमा, अपढमा ।
दं. १-२४. एवं नेरइया जाव वेमाणिया ।
प. सिद्धा णं भंते! सिद्धभावेणं किं पढमा, अपढमा ?
उ. गोयमा ! पढमा, नो अपढमा ।
२. आहार दारं
प. आहारएं णं भंते! जीवे आहारगभावेण किं पढमे, अपढमे ?
उ. गोयमा ! नो पढमे, अपढमे ।
दं. १-२४. एवं नेरइए जाव बेमाणिए।
पुहत्तेण वि एवं चेव ।
प. अणाहारए णं भंते! जीवे अणाहारभावेणं किं पढमे, अपदमे ?
उ. गोयमा ! सिय पढमे, सिय अपढमे,
"
दं. १-२४. रइए जाव बेमाणिए नो पढमे, अपढमे । सिद्धे पढमे, नो अपढमे ।
प. अणाहारगाणं भंते! जीवा अणाहारभावेण किं पढमा, अपढमा ?
सूत्र
८. प्रथम अप्रथम अध्ययन
१. प्रथम अप्रथम का लक्षण
जिस जीव के जो भाव (अवस्था) पहले से प्राप्त है उसकी अपेक्षा से वह जीव "अप्रथम” है और जो भाव प्रथम बार ही प्राप्त हुआ है, उस भाव की अपेक्षा से वह जीव "प्रथम" है।
प्र.
उ.
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२. जीव चौवीसदंडक और सिद्धों में चौदहद्वारों द्वारा
प्रथमाप्रथमत्व का प्ररूपण
उस काल और उस समय में राजगृह नगर में यावत् गौतम स्वामी ने इस प्रकार पूछा
१. जीव द्वार
भन्ते ! (एक) जीव जीवभाव से प्रथम है या अप्रथम है ?
गौतम ! जीव जीवभाव की अपेक्षा से प्रथम नहीं, अप्रथम है। दं. १ २४. इसी प्रकार नैरयिक से वैमानिक पर्यन्त जानना चाहिए।
प्र. भन्ते ! (एक) सिद्ध सिद्धभाव की अपेक्षा प्रथम है या अप्रथम है ?
उ. गौतम ! प्रथम है, अप्रथम नहीं है।
प्र.
भन्ते ! ( अनेक) जीव, जीवभाव की अपेक्षा से प्रथम हैं या अप्रथम हैं ?
उ. गौतम ! प्रथम नहीं, अप्रथम हैं।
दं. १-२४. इसी प्रकार नैरयिकों से वैमानिकों पर्यन्त जानना चाहिए।
प्र. भन्ते ! ( अनेक) सिद्ध सिद्धभाव की अपेक्षा से प्रथम हैं या अप्रथम हैं ?
गौतम ! प्रथम हैं, अप्रथम नहीं हैं।
उ.
२. आहार द्वार
प्र.
भन्ते ! (एक) आहारकजीव, आहारकभाव की अपेक्षा से प्रथम है या अप्रथम है ?
उ. गौतम ! प्रथम नहीं, अप्रथम है।
दं. १-२४. इसी प्रकार नैरयिक से वैमानिक पर्यन्त जानना चाहिए।
इसी प्रकार बहुवचन की अपेक्षा भी समझना चाहिए।
प्र. भन्ते ! (एक) अनाहारक जीव अनाहारकभाव की अपेक्षा से प्रथम है या अप्रथम है ?
उ. गौतम कदाचित् प्रथम है, कदाचित् अप्रथम है।
दं. १-२४. नैरयिक से वैमानिक पर्यन्त प्रथम नहीं, अप्रथम है। सिद्ध (अनाहारकभाव की अपेक्षा से) प्रथम है, अप्रथम नहीं है।
प्र. भन्ते ! ( अनेक ) अनाहारकजीव अनाहारकभाव की अपेक्षा से प्रथम हैं या अप्रथम हैं ?