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जीव अध्ययन
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१. आभिणिबोहियणाणारिया, २. सुयणाणारिया, ३. ओहिणाणारिया, ४. मणपज्जवणाणारिया, ५. केवलणाणारिया। सेतंणाणारिया।
-पण्ण.प.१.सु.१०८ प. ८.से किं तं दंसणारिया ? उ. दंसणारिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा१. सरागदंसणारिया य, २. वीयरायदंसणारिया य। प. ८.किं तं सरागदसणारिया ? उ. सरागदसणारिया दसविहा पण्णत्ता,तं जहा
१-२.निस्सगुवएसरुई ३.आणारुइ ४. सुत्त ५.बीयरुइ गेव। ६. अहिगम ७. वित्थाररुई ८. किरिया ९. संखेव १०.धम्मरुई॥१
सेतं सरागदसणारिया -पण्ण.प.१, सु. १०९-११०(१) प. ९.से किं तं वीयराय-दसणारिया ? उ. वीयराय-दसणारिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. उवसंतकसाय-वीयराय-दसणारिया,
२. खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया। प. से किं तं उवसंतकसाय-वीयराय-दसणारिया ? उ. उवसंतकसाय-वीयराय-दसणारिया दुविहा पण्णत्ता,
तं जहा१. पढमसमय-उवसंतकसाय-वीयराय-दसणारिया,
२. अपढमसमय-उवसंतकसाय-वीयराय-दसणारिया। अहवा १. चरिमसमय-उवसंतकसाय-वीयराय-दसणारिया य,
२. अचरिमसमय-उवसंतकसाय-वीयराय-दसणारिया य। प. से किं तं खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया ? उ. खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया दुविहा पण्णत्ता,
तं जहा१. छउमत्थखीणकसाय-वीयराय-दसणारिया य,
२. केवलि-खीणकसाय-वीयराय-दंसणारिया य। प. से किं तं छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया ? उ. छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया दुविहा
पण्णत्ता, तंजहा१. सयंबुद्ध-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-दसणारिया य, २. बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय
दसणारिया य। प. से किं तं सयंबुद्ध-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय
दंसणारिया ? उ. सयंबुद्ध-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-दंसणारिया
दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
- १६५ ) १. आभिनिबोधिकज्ञानार्य, २. श्रुतज्ञानार्य, ३. अवधिज्ञानार्य, ४. मनःपर्यवज्ञानार्य, ५. केवलज्ञानार्य।
यह ज्ञानार्यों की प्ररूपणा हुई। प्र. ८. दर्शनार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. दर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. सरागदर्शनार्य, २. वीतरागदर्शनार्य। प्र. ८. सरागदर्शनार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. सरागदर्शनार्य दस प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. निसर्गरुचि, २. उपदेशरुचि, ३. आज्ञारुचि, ४. सूत्ररुचि, ५. बीजरुचि, ६. अभिगमरुचि, ७. विस्ताररुचि, ८. क्रियारुचि, ९. संक्षेपरुचि, १०. धर्मरुचि।
यह सराग दर्शनार्यों की प्ररूपणा हुई। प्र. ९. वीतराग-दर्शनार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. वीतराग-दर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. उपशान्तकषाय-वीतराग-दर्शनार्य,
२. क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य। प्र. उपशान्तकषाय-वीतराग-दर्शनार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. उपशान्तकषाय-वीतराग-दर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं,
यथा१. प्रथमसमय-उपशान्तकषाय-वीतराग-दर्शनार्य,
२. अप्रथमसमय-उपशान्तकषाय-वीतराग-दर्शनार्य। अथवा १. चरमसमय-उपशान्तकषाय-वीतराग-दर्शनार्य,
२. अचरमसमय-उपशान्तकषाय-वीतराग-दर्शनार्य। प्र. क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य,
२. केवलि-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य। प्र. छद्मस्थ क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य कितने प्रकार के हैं ? उ. छद्मस्थ क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं,
यथा
१. स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य, . २. बुद्धबोधित-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य।
प्र. स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य कितने प्रकार
उ. स्वयंबुद्ध-छद्मस्थ-क्षीणकषाय-वीतराग-दर्शनार्य दो प्रकार के
कहे गए हैं, यथा
१. (क) उत्त. अ. २८, गा. १६
(ख) ठाणं. अ. १०, सु.७५१
(ग) दस रुचियों आदि का वर्णन चर. भा. १ पृ. १२६ पर देखें। २. उत्त. अ. २८,गा. २८-३१