________________
द्रव्य अध्ययन
- २३ ) २४. समय-अतीत-अनागत और सर्वद्धा काल के अगुरुलघुत्व का
प्ररूपणप्र. भंते ! समय क्या गुरु है, लघु है, गुरुलघु है या . अगुरुलघु है? उ. गौतम समय गुरु नहीं है, लघु नहीं और गुरुलघु भी नहीं है किन्तु अगुरुलघु है।
अतीतकाल, अनागत (भविष्य) काल और सर्वकाल चतुर्थ पद
(अगुरुलघुपद) वाला जानना चाहिए। २५. लोकाकाश और जीव के प्रदेशों का असंखेयत्व का प्ररूपण
प्र. भंते ! लोकाकाश के कितने प्रदेश कहे गये हैं ? उ. गौतम ! लोकाकाश के असंख्यात प्रदेश कहे गये हैं। प्र. भंते ! एक जीव के कितने जीव प्रदेश कहे गए हैं ?
उ. गौतम ! जितने लोकाकाश के प्रदेश हैं उतने ही एक जीव के
जीव-प्रदेश कहे गये हैं।
२४. समय-अतीतद्धा अणागतद्धा सव्वद्धाणं अगुरुयलहुयत्त
परूवणंप. समया णं भन्ते ! किं गरुया ? लहुया ? गरुयलहुया ?
अगरुयलहुया? उ. गोयमा ! णो गरुया, णो लहुया, णो गरुयलहुया, अगरुयलहुया।
-विया. स. १, उ.९, सु.९ तीतद्धा, अणागतद्धा, सव्वद्धा, चउत्थपएणं
(अगरुयलहुयपएणं णेयव्यं) -विया. स. १, उ. ९, सु.१६ २५. लोगागासस्स-जीवस्सय पएसाणं असंखेज्जत्त परूवणं
प. केवइया णं भंते ! लोगागासपएसा पण्णत्ता ? उ. गोयमा ! असंखेज्जा लोगागासपएसा पण्णत्ता। प. एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स केवइया जीवपएसा
पण्णत्ता? उ. गोयमा !जावइया लोगागासपएसा एगमेगस्स णं जीवस्सएवइया जीवपएसा पण्णत्ता।
-विया. स.८, उ. १०,सु. २९-३० २६. खेत्त-दिसाणुवाएणं दवाणं अप्पबहुत्तं
खेत्ताणुवाएणं१. सव्वत्थोवा दव्वाइं तेलोक्के, २. उड्ढलोयतिरियलोए अणंतगुणाई, ३. अहेलोए तिरियलोए विसेसाहियाइं, ४. उड्ढलोए असंखेज्जगुणाई, ५. अहेलोए अणंतगुणाई, ६. तिरियलोए संखेज्जगुणाई।
दिसाणुवाएणं१. सव्वत्थोवाइं दव्वाइं अहेदिसाए, २. उड्ढदिसाए अणंतगुणाई, ३. उत्तरपुत्थिमेणं दाहिणपच्चत्थिमेण य दो वि तुल्लाई
असंखेज्जगुणाई. ४. दाहिणपुरस्थिमेणं उत्तरपच्चत्थिमेण य दो वि तुल्लाई
विसेसाहियाई ५. पुरथिमेणं असंखेज्जगुणाई, ६. पच्चत्थिमेणं विसेसाहियाई, ७. दाहिणेणं विसेसाहियाई, ८. उत्तरेणं विसेसाहियाई।
-पण्ण.प.३.सु.३२८-३२९ २७. दव्वाणं दव्वट्ठ पएसठ्ठयाए अप्पबहुत्तं
दव्वट्ठयाएप. एएसि णं भंते! १. धम्मत्थिकाय, २. अधम्मत्थिकाय,
३. आगासस्थिकाय, ४. जीवस्थिकाय, ५. पोग्गलत्थिकाय, ६. अद्धासमयाणं दव्वट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ?
२६. क्षेत्र और दिशा के अनुसार द्रव्यों का अल्पबहुत्व
क्षेत्र के अनुसार१. सबसे अल्प द्रव्य तीनों लोक में हैं। २. (उससे) ऊर्ध्व लोक तिर्यक्लोक में अनन्तगुणे हैं, ३. (उससे) अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, ४. (उससे) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उससे) अधोलोक में अनन्तगुणे हैं, ६. (उससे) तिर्यग्लोक में संख्यातगुणे हैं।
दिशाओं के अनुसार१. सबसे अल्प द्रव्य अधोदिशा में हैं, २. (उससे) ऊर्ध्वदिशा में अनन्तगुणे हैं, ३. (उससे) उत्तरपूर्व और दक्षिणपश्चिम दोनों में तुल्य हैं और
असंख्यातगुणे हैं, ४. (उससे) दक्षिणपूर्व और उत्तरपश्चिम दोनों में तुल्य हैं तथा
विशेषाधिक हैं, ५. (उससे) पूर्व दिशा में असंख्यातगुणे हैं, ६./(उससे) पश्चिम दिशा में विशेषाधिक हैं, ७. (उससे) दक्षिण दिशा में विशेषाधिक हैं,
८. (उससे) उत्तर दिशा में विशेषाधिक हैं। २७. षड्द्रव्यों का द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा अल्पबहुत्व
द्रव्य की अपेक्षाप्र. भंते ! १. धर्मास्तिकाय, २. अधर्मास्तिकाय, ३. आका
शास्तिकाय, ४. जीवास्तिकाय, ५. पुद्गलास्तिकाय, ६.अद्धा-समय (काल) इनमें से, द्रव्य की अपेक्षा कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक है?