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___ * श्री लँबेचू समाजका इंतिहास *
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इसका यह अर्थ समझना कि प्रथम सोनपालजी के सन्तान प्रतिसन्तान में कोई राजा महाराजाओं की दी हुई पदवियों से और कोई नामसे और कोई कारोवार से ( व्यवसायके ) नामसे एक में से ये ७ गोत्र प्रसिद्ध हुए इन सातों ७ गोत्रोंके वंशधर प्रधान पुरुषोंके नाम पृथक् २ दूसरे हुए हैं जो कि दूसरी अन्यत्र से प्राप्त वंशावली से ज्ञान होगा क्यों कि पोद्दार और चौधरी किसी पुत्र का नाम नहीं है किन्तु प्राप्त पदवी का है और यह पदवी किस पुरूष ने प्राप्त की यह दूसरी विशेषवंशावली से ज्ञात होजायगा इसी इतिहास में हम लिखेगें इसी प्रकार अन्य अन्य सत्ताओं का भी आशय समझना । ___ (२ ) श्रीवीरसहायजी के सात ७ पुत्र भये वजाज १ पटवारी २ गोहदिया ३ मुड़हा ४ वड़ोघर ५ सेठिया ६ तीनमुनैय्या ७ यह दूसरा सत्ता वजाज का श्रीवीरसहाय जी से प्रवर्तित हुआ। ___(३) रतनपाल जो परियाके सत्ताके कुदरा १ अरमाल २ रुखारुव ३ शंखा ४ कसाहव ५ (मानी) कानीगोह ६ सुहाभरे ७ यह तीसरा सत्ता श्रीरतनपालजी से चला।