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५२ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
(६) राउत गोत्र की उत्पत्ति सत्ता ७ रूहिया १ सेलरिया २ कुदरा ३ सलरैय्या ४ वड़ोधर ५ समइया ६ जखामिहा ७।
(७) पचोलये गोत्र की उत्पत्ति सत्ता ७ कसाव १ वैसर २ गुरमुहा ३ वोमनतारे ४ तीनमुनैया ५ देरिया ६ मुरहा ७ ।
इसी पचोलये गोत्रकी उत्पत्ति सत्तामें चोथा तीनमुनया गोत्र है इसो तोनमुनैय्या गोत्र के वनारसवाले खड़गसेन उदैराज थे जिनका वनवाया ( भेलूपुर ) वनारसमें जिन मन्दिर है वहाँ उन्होने जिन विम्ब प्रतिष्ठा सं० १६२५ विक्रम संवत् में गद्दीनशीन गुरू श्रीमान् भट्टारक राजेन्द्रभूषणजो द्वारा कराई जो गोपाचल ( गवालियर ) और सूरीपुरके विश्व भूषण जगद्भुषण के पट्ट परम्परामें थे उस मन्दिरकी श्री जिन प्रतिमाका शिला लेख इस प्रकार है।
श्री अजित नाथाय नमः संवत १६२५ वैशाख शुक्ल ७ बुधवासरे श्री मूल सङ्घ वलात्कार गणे सरस्वतीगच्छे कुन्द कुन्दाम्नाये गोपाचल पट्ट श्रीमद् भट्टारकजिनेन्द्रभूषणजी देवास्तत्पट्ट श्रीमद्भट्टारक महेन्द्र भूषणजीदेवास्तत्पट्ट