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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
अपभ्रंश भया और चोहानोंको इतिहासमें कोई रघुवंशी कोई गुहिलोंको रघुवंशी कहीं चन्द्रवंशी लिखा, पर इन शिला-लेखोंसे यदुवंशी सिद्ध होते हैं।
हमारे भिंडमें भिंडके किलेके नीचे भागमें पुरानी वस्ती के रास्तेमें किलेके पिछाड़ी छोटे दरवाजेसे अंगाड़ी भिन्डी ऋषि जती (यति) भट्टारक साधु जो सूरीपुरकी आचार्य पपट्टावलीमें जो हमने इसी इतिहासमें छापी है उसमें भिण्डी ऋषिका उल्लेख है कि १२४६ की सालमें वही राजा भदावरने भदोरिया राजा महेन्द्रजके पूर्वजांने या उन्होंने भिंडका किला बनावाया। किलेके नीचे पूर्व उत्तरके कोणमें ईशानी दिशामें (ईशानी दिशामें ही ज्योतिष शास्त्र में अपने मकानमें ) देवस्थान लिखा है मो किलेके ईशान दिशामें ही किलेके नीचे एक भागमें देवस्थान बनाया जिसके भट्टारक भिण्डी ऋषि होंगे।
ये जैन भट्टारक जैन ऋषि थे। भदोरिया चोहान कुल परम्परासे पहिले जैन होंगे तब तो किलेमें एक अलहदी जगहमें देव स्थान बनाया। अब वहां एक पण्डा महाराज ग्वालियरके तरफसे पुजारी रहता है। इसी