Book Title: Lavechu Digambar Jain Samaj
Author(s): Zammanlal Jain
Publisher: Sohanlal Jain Calcutta

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Page 458
________________ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास अर्धम् ये केचिज्जिन सिद्ध सूरिशुभगोपाध्याय साधूनमून् । ध्यायंस्तत् प्रतिबन्ध बन्धुरधियः सन्तः समन्तादिह ॥ ते शस्वन्नर राजदेव पदवी मासाद्य चञ्चच्चिषः । प्रोह्य ंस्तेत्र घनैव कर्म्म दहनं श्रीमन्नरेन्द्रार्चितान् ॥ इत्याशीर्वादः ত ४५६

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