Book Title: Lavechu Digambar Jain Samaj
Author(s): Zammanlal Jain
Publisher: Sohanlal Jain Calcutta

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Page 472
________________ ४०० * श्री लॅबेचू समाजका इतिहास - जो श्रीमान् महामहोपाध्याय मुधाकर द्विवेदीजीके शिष्य थे वे भिण्डके ही थे। इनसे खगोल भूगोल ग्रहलाघव सूर्य सिद्धान्तसे बताया तथा फलितमें जातकालङ्कार वृहज्जातक नीलकण्ठी पढ़ी। प्रश्नझानप्रदीप नरपतिजयचर्या ये दोनों जैनग्रंथ हैं। श्रीधर शिवलालके छापेखानामें छपी ये ऋषभदेवका मङ्गलाचरण है। तथा वर्ष प्रबोध यह भी जैनग्रन्थ और मुहूर्त चिन्तामणि मुहूर्तमातण्ड आदि ज्योतिषसार आदिका परिशीलन किया और जैन न्यायग्रन्थ अष्टसहस्री प्रमेयकमलमार्तण्ड आप्त परीक्षा राजवार्तिक श्लोक वार्तिक आदि दिगम्बर जैनग्रन्थोंका अध्ययन कर दश वर्ष संस्कृत एसोशियन कलकत्ता कालेजमें उपाधि परीक्षा परीक्षक रहे और श्वेताम्बर जैनग्रन्थ तत्वार्थाधिगम भाष्य प्रमाणमीमांसा प्रमाण नयतत्वालोकालंकार न्यायमें और हेमव्यारणमें परीक्षक रहे तथा साहित्यदर्पण कादम्बरी न्यैषधकाव्य साहित्यका भी परिशीलन किया पढ़ाया और जैन साहित्य गद्यचिन्तामणि यशस्तिलक चम्पू आदिका परिशीलन किया और महावीराचार्यगणित तथा प्रतिष्ठातिलक आशाधर प्रतिष्ठापाठ ब्रह्मसूरि संहिता तथा जिन

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