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*श्री लॅबेचू समाजका इतिहास *
३-स्थानाङ्ग ४२ व्यालीस हजार पद ४-समवायांग १६४००० एक लाख चोसठि हजार पद ५-व्याख्या प्रज्ञप्ति अंग दो लाख अट्ठाईस हजार पद ६- ज्ञाटकथांग पांच लाख छप्पन हजार पद ७--उपासकाध्ययनाँग ग्यारह लाख सत्तरि हजार पद ८-अन्तकृत् दशांग तेईसलाख अट्ठाईस हजार पद 8-अनुत्तर दशांग छयानवे लाख चवालीस हजार पद १०-प्रश्न व्याकरणांग ६३ तिराणवे लाख सोलह हजार पद ११-सूत्र विपाक अंग एक करोड़ चौरासी लाख पद
इन सबके मिलाकर चार करोड़ पन्द्रह लाख दो हजार दस पद भये और वारहवां दृष्टियाद अंगके एक सौ आठ करोड़ अर्थात् एक अरब आठ करोड़ अरसठ लाख छप्पन हजार पद भये । और जैन सिद्धान्तमें इक्यावन करोड़ आठ लाख चौरासी हजार छ सौ इक्कीश अनुष्टपश्लोक जो ३२ अक्षरोंका एक श्लोक अनुष्टुप श्लोक होता है। ___ इस प्रमाणसे एक-एक पदके इक्यावन करोड़ आठ लाख चौरासी हजार ६ सौ इकईस श्लोक एक पदके भये