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* श्री लैबेच समाजका इतिहास * ४६६ यहाँ रहकर श्रीमान् महामहोपाध्याय लक्ष्मणशास्त्री से पढ़ कर वेदान्ततीर्थ और तर्कतीर्थ परीक्षा देना चाहते हैं । हम श्रीमान वामाचरण भट्टाचार्यके शिष्य हैं छहो खण्ड न्यायाचार्यके उत्तीर्ण कर आये हैं। कर्णाट देश सांगलीके हैं। हमने उत्तर दिया कि कोठरी का प्रबन्ध हम कर देंगे पर हमको भी न्याय पढ़ाना होगा। आपने जवाब दिया खुशी से पढ़ो, हम पढ़ायेंगे । उनको हमने श्रीविशुद्धानन्द विद्यालयके सामने ६) रु० भाड़ा पर कोठरी ले दी और उनसे पढ़ें रात्रिको जाया करें। उन्होंने पहले न्याय मध्यमा दिवाई उत्तीर्ण हुए। दूसरी वर्ष वे और हम गुरु-चेला एक साथ तर्कतीर्थ परीक्षामें बैठे, हम तथा वे दोनो ही उत्तीर्ण हुए। जिसमें शब्दखण्डमें परीक्षा दी, व्युत्पत्तिवाद १ शक्तिवाद २ शब्दशक्तिप्रकाशिका २ ३ न्यायकुसुमाञ्चलि
और गादाधरी पञ्चलक्षणी व्याप्ति तथा विधिवाद और सामान्य निरुक्ति अभावग्रन्थये परीक्षा अलावा भी पढ़े जिसमें शक्तिशक्तंपदं शक्ति-तीन प्रकार, अभिधा व्यञ्जना लक्षणा आदिका प्रखर विवेचन है। पड़े और ज्योतिषशास्त्र में हमने श्रीमान् पं० रामदयालुशर्मा ज्योतिषाचार्यसे पढ़े