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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३७५ भिण्डी ऋषिके स्थानमें लंबेचू वंशके चौधरी गोत्रके विवाह शादीमें भिंडी ऋषि पूजने स्त्री, पुरुष जाते थे। हम चंदोरिया गोत्री लमेच और चोधरी गोत्र भी लमेच सो हमारो उनका व्यवहार था। तब हम छोटे थे हम भी व्योहारमें जाते थे। यह हम ऊपर भी लिख आये हैं कुछ विशेष जाननेके लिये फिर लिखा है। हमें क्या मालूम था कि यह स्थान हमलोगोंका ही है। अब भी सुनते हैं कि उस भिण्डी ऋषि स्थानके नीचे तलघर बन्द रहता है ताज्जुब नहीं उसमें जिन प्रतिमा होवें।
राजा भदावरका राज्य अब पान्ने नोगाये आदिमें थोड़ा रह गया है। तो उन भिंडी ऋपि नामसे यह शहर भी भिंड कहलाता है। यह भिण्ड नगर प्राचीन है। इन्हीं भदावर राजाका किला है। जिसका जिक्र ऊपर किया उसीमें कचहरी न्यायालयके स्थान ग्वालियर जिलेके सूवा (कलक्टर) का स्थान, तहसील महकमा आदि स्थान है। (मजिस्ट्रेट) राजकर्मचारियोंके न्यायालय सम्बन्धी टकसाल खजाना (सेना) एलकार क्लर्क आदि सबके जुदे २ स्थान बने हैं। बहुत बड़ो किला है। अब यह ग्वालियर