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३८४ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * सुमेरचन्दजीने भी तथा उनके भानजे ताराचन्दजीने सूरीपुर पर तथा (वटेश्वर) का उद्धार किया, मुकदमा जिताया । उस शौर्यपुर सूरीपुरमें प्रतिष्ठा करानेके लिये दश हजार रु० निकाल रखा है। बाबू सोहनलालने एक मन्दिर तथा प्रतिमा बनवाई। शिखरजीमें पहुंच चुकी है सफंद सवां पांच फुट पद्मासन प्रतिष्ठा माघ सुदी २ से ६ तक वि० संवत् २००७ में हो चुकी है। जिसमें बाबू सोहनलालका ३५००० पैंतीस हजार रुपया करीब लगा। शिखर प्रतिष्ठा भी हो गई। मेरे हाथसे ही ये दो काम भी प्रतिष्ठाके हुये है मेरी ७१ वर्षकी उम्र हो चुकी है। ___उपर्युक्त सूरीपुर और चन्दवाड़ ( चन्द्रपाट ) के विषय में और भी पं० जयविजय कृत तीर्थ मालामें संवत् वि० १६६४ की बनी हुई और सौभाग्य विजय कृत तीर्थ माला १७५० में लिखा है ( भास्करसे उद्धृत पेज १५६ रायवद्दीय और चन्दवाड़ नगर ):देहरा सरना देव जुहारी । फिरोजाबाद आया सुखकारी ॥ तहाँ श्रीदक्षिण दिशि सुविचारी। गाँउ एक भूमि सुखकारी॥ चॅदवाडि माहि सुखदाता । चन्द्र प्रभु वन्दो विख्याता ॥