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४४० * श्री लँबेचू समाजका इतिहास - सिंहका एक बारही गमन विषय होता है और केला वृक्ष एक बार ही फल देता है। दूसरी वार काटके फलता है
और स्त्रीको एक ही बार तेल चढ़ता है, अर्थात् एक ही बार विवाह होता है दूसरी बार धरेज (धरावना) कहलाता है और सत्पुरुषोंका वचन जो कह दिया उसमें हेरफेर नहीं होता। अब विधवा विवाह बिल पासकर लिया तब तो पातीव्रत धर्म नष्ट हो गया। जैसी नारि दूसरे फंसी, जैसे सत्तरि वैसे अस्सी। तब तो उसके परिणामोंमें यह बात तो नहीं रहेगी कि, व्यभिचार न करूँ, क्योंकि उसके एक की प्रतिज्ञा न रही भङ्ग कर चुकी। कहाँ वह समय था, जब रावणके बगीचेसे रावणको मारकर अपने घर अयोध्या पुष्पक विमानमें बैठाकर रामचन्द्रजी सीताजीको लाये। तब अयोध्याकी स्त्रियें इधर-उधर घरोंमें जा जाकर कहने लगी कि आप हमको रोकते हैं कि दूसरोंके यहाँन जाओ तो सीताजी इतने दिन रावणके घररही और रामचन्द्रजी घर ले आये। कोई तिखार नहीं किया यह अपवाद भया तब सब लोगोंने श्रीरामचन्द्रजीसे शिकायत की कि हमारी स्त्रियाँ इधर-उधर फिरने लगी, हम कहते हैं तो