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____* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ४५३ श्रीमान् कन्हैयालाल विरदीचन्दजी जेन अग्रवाल फतेपुर निवासी कलकत्ता प्रवासी राजाउडमेनमें गद्दी तथा आरमनी स्टीटमें बाड़ी है उनकी तरफसे प्रतिष्ठा की। ___और भी अनेक वेदी प्रतिष्ठा कराई हमें याद नहीं। राजपूतानेका इतिहास द्वि० खण्ड गौरीशङ्कर अझाजी कृत। आशाधर जैन प्रतिष्ठापाठ । महीपाल चरित्र। श्रीवर्द्धमानपुराण (आचार्य पद्मनन्दिकृत) अगुव्यय पदीय लक्ष्मण कविकृत (जायसवाल) पटियालोगोंकी पट्टावलिमें (४) हरिवंवपुराण जैन वृद्ध जिनसेनाचार्यकृत आदिपुराण जैन संस्कृत महापुराण द्वि० जिनसेनाचार्य कृत जैन सिद्धान्त भाष्करकी फाइलें अनेकान्तपत्रकी फाइलें जैन मित्रकी फाइलें श्री जिनप्रतियाओंके शिलालेख ताम्रपत्र ___इटावा जिन मन्दिर और धर्मशालाकी रिपोर्ट व इटावा गजेटियर इतने ग्रन्थ और फाइलें आदिकी सहायता से यह इतिहास लिखा गया है।