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*श्री लॅबेच समाजका इतिहास *
प्राप्तकर अपने वंशको समुन्नत बनाना चाहिये। और इस इतिहासमें पल्लीवाल ( पालीवाल ) जातिका जिकर नहीं किया इसका निकास कन्नौजसे है। कन्नौजमें राठोरोंका दबदवा रहा है । पृथ्वीराजने चढ़ाई की है, पालीवालोंका निकास राठोरोंसे होगा।
इति त्वस्तिभद्रश्चास्तु हमारे भाई बाबू सोहनलालजीका कहना है कि तुम ने कितनी जगह श्री जिनविम्वप्रतिष्ठा वेदी प्रतिष्ठा कराई यह भी लिख देना।
कानपुरमें श्रीमान् पं० भादोलालजी गुलजारीलालजी वावा दुलीचन्दजीके साथ रहकर कानपुरमें सं० १६६४ जुहीके मदानमें जिन विम्वप्रतिष्ठा कराई श्री लाला गुलजारीमल रामस्वरूपजी अग्रवालकी तरफ से।
करहल (जिला मैनपुरी ) में जिंन प्रतिमा प्रतिष्ठा श्रीमान् लाला फुलजारीलाल मिजाजीलाल रईश लमेचू जैनकी तरफसे कराई संवत् १६८१ में ।
श्रीपावापुरी सिद्धक्षेत्रमें श्रीमान् हरग्रसाद रईश आरा की तरफसे मारफत श्रीमान् निर्मल कुमार रईश आरा की देखरेखमें ऊपर के जिनबिम्बों की प्रतिष्ठा कराई।
श्रीपावापुरीमें दुवारा श्रीमान् वाबू निर्मल कुसार