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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * पत्थरोंमें निशान पड़े हुए हैं । उदयगिरि पहाड़पर २३०० तेईस सौ वर्षका राजा खारवेलका खुदाया हुआ शिलालेख है। इन दोनोंमें दिगम्बर जिन मूर्तियां है और खण्डगिरिके ऊपर एक विशाल जिनमन्दिर है और उसी जिनमन्दिरके बगलमें उत्तरकी तरफ छोटा जिनमन्दिर है और उसीके दक्षिण बगलमें एक जिनमन्दिर बनवाकर एक नौ हाथ खड़े आसन श्री पाश्वनाथ भगवान २३ व तीर्थङ्कर दिगम्बर जिनमूर्तिकी बिम्बप्रतिष्ठा सुजानगढ़ निवासी कलकत्ताप्रवासी चांदमल धन्नालालकी तरफसे पं० नन्हेलाल टीकमगढ़के तथा श्रीनिवास शास्त्रीके सहयोगसहित हम प्रतिष्ठा सं० २००७ के वैशाख सुदी ३ पर कराकर आये हैं। तो वहाँ कटकमें परवारोंका सत्व कैसे पाया गया, ये तो सीपी बुन्देलखण्ड तरफ पाये जाते हैं तो मालूम हुआ भोंसले मरहटाओंका राज्य था और महाराष्ट्रों ( मरहटाओं) का राज्य गवालियर, भिंड, भदावर, झाँसी आदि पूना-सितारा, वीजापुर, कोल्हापुर तक है। तो इन्होंका ही राज्य जगन्नाथ पुरीमें होगा और मरहटाओंके पूर्वज जैन थे तो जगन्नाथपुरीका मन्दिर जैन होना चाहिये ; क्योंकि जगन्नाथपुरीके