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* श्री लँबेच समाजका इतिहास * ४३० मनुष्य भी ओहदा पाकर मछलियाँ खानेका उपदेश, बन्दर आदि पशुओंके मारनेका उपदेश देने लगे, अब कहो, ( दया बिन शरण सहाई कौन होवे )। इसलिये जीवोकी दया पालना भी गृहस्थका मूल गुण होना चाहिये। और ब्लेकमार्केट चल गया, इसने सबको चोरी सिखा दी। अब चोरीमें कोई पाप ही नहीं समझता। इस ब्लेकमार्केट के कारण ( खाद्य-वस्तुओंका तथा व्यावहारिक वस्तुओंका) कण्ट्रोल करना है। दिखाते तो यह हैं कि वस्तुएँ ठीक दामपर गरीबोंको मिलेगी, पर मिलने में दिक्कत बहुत बढ़ गई। अगाड़ी अनाजका संचय कर खोडिया भरते थे, अब लोग भरने नहीं पाते और जो व्यापारी भरते हैं, अनाज संचय करते हैं, वे दूसरे देशोंमें भेज धनकी अधिक तृष्णा से अहित करते। और यहाँके अन्गज यहाँकी प्रजा के हितकर थे। वे तो दूसरोंको देते और दूसरे देशोंके अनाज यहाँवालोंको अहितकर होते, यह सब भीतरी अहिंसा है। अनेक रोग आकस्मिक आगन्तुक होते, यह सब ब्लेकमार्केटका फल है। पहिले जब कण्ट्रोल नहीं थे, तब क्या यहाँ चीजें नहीं मिलती थी, बहुतायतसे