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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३६७ कुछ हम अपने निकट और परिचित जातियोंके विषयमें संक्षिप्तमें इतना ही लिखते हैं कि हमारे जैसवाल भाई कच्छ देशके कछवाये ठाकुर जो भिंडके पास लाहर पर गनेमें कछयाये ठाकुर कछवाये क्षत्रिय बहुत हैं। ये और जैसवाल भाई जैन ये सब जेसलमेरसे आये । ___यह बात इसीमें छपी आचार्योंकी पट्टावलीमें कुछ निर्देश है और राजपुतानेके उदयपुरके इतिहासमें ४२३ पेजमें लिखा है कि १४०५ में तो शिवभाणके पुत्र सहस्त्रमल्लने नई शिरोई बसाईयेशिवदेव न हो सो देवडा चोहानमें थे। देवड़ा गोत्र मारवाड़ी अग्रवालोंका है । देवड़ा चोहानोंकी राजधानी आबूके नीचे चन्द्रावती नगरी थी और अजमेर नगर आनल्लदेव ऊर्णोराजके पिता अजयदेव ने बसाया। सिरोही राज्यके इतिहास पृष्ठ १६३६४ में लिखा है और जेसलमेरको भाटी जयसलने विक्रम संवत् १२१२ में बसाया और भाटीको राजपूताना द्विखंड उदयपुर इतिहासमें यादव वंश लिखा है भाटियाओंका यादव वंश है तब जेसलमेरसे निकास जैसवाल भाइयोंका है सो ये भी यादव हैं। इसमें भी संशय नहीं रहता कक्छ