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* श्री लँबेचु समाजका इतिहास * ३७६ दी थी। उसमें सभी पञ्चोंने रुपया लगाकर इमारत बना दी है। पहिले रथयात्रा होकर नवादाबाग जो भदोरिया राजाका है बड़ा आलीशान स्थान है। जो छोटा ग्राम के माफिक है। इसके चारों दिशाओं में चार महल और बीचमें कचहरी, पूर्व-पश्चिममें तालाब इत्यादि हैं। अब भी राजा भदावरके ही कब्जे में है। वहाँ भगवान श्रीजी विराजमान होते थे। चारों तरफ दुकानें लगती, बड़ा आलीशान मेला कार्तिकमें लगता था । इस मेलेकी लिखित भिण्डकी शोभा नाम पुस्तक है उसमें नवादाबाग और मेला दुकानदारोंसे वगीचा वृक्षादिका जिकर है। अबकी सालमें मुनते हैं नशियापर लगाया भदोरिया चौहानोंके कारण इतना इतिहास लिखना पड़ा।
राजा राणा रपरसेनसे रपरी शहर बसाया। जमुनाके किनारे जमुनाके उत्तर तटमें रपरी ग्राम है, जिसके निकट अब भी ध्वंस किला आदिके चिह्न हैं वहां अब मुसलमानी वस्ती थोड़ी है जो इक्का तांगा जोतते हैं। यहां वीरान होनेसे कोई वटेश्वर कोई फेजावाद कोई मुरोंग कोई कचना उर कोई फदवसे वैसे ही अलल पड़ गये। उसी