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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३७३ राजा जितशत्रकी कन्या ब्याही थी। ओझाजीने भी पमिनी सिंहलद्वीप चोहानकी कन्या लिखा है। अब जैन पुराण के अनुसार कुछ जोजनोंकी परिभाषाओंमें फर्क है सो हमें ऐसा अनुभव होता है कि बम्बईकी तोलमें जैसा फर्क होता है, वैसा न हो। जैसे बम्बईमें शाक-भाजीका सेर २८ रु० भरीका और और दूधका सेर ५६ भरीका चलता है वैसा ही फर्क न हो। फिर सर्वज्ञ जाने पर प्रदेशोंक मिलानसे तो ऐसा ही दिखता है। आजकल के भारतक नक्शामें भी हिन्दुस्थानका नक्शा धनुषाकार दक्षिणसे गुलाई लिये देखा जाता है जैसाकि शास्त्रमें लेख है। भरतक्षेत्रको जम्बूद्वोपक गुलाईसे धनुषाकार गुलाई लिये है। दक्षिणको समुद्रकी तरफ गोल द्वीप तरफ सीधा ।) इस माफिक। यहाँ तो हमें चोहानोंकी बस्ती दिखाने को लिखा कि सिलोन और नेपालमें भी चोहानोंका सत्व है। सत्व रहा और हमारे अपने अनुमानसे हेतु पक्ष साध्य सद्भावसे सद्भाव होता है कि लमेचुहानका अपभ्रंश चोहान हो गया। क्वचितप्रवृत्तिः इस व्याकरणके श्लोकसे लमेका लोप होकर ऊकारका ओकार होकर चोहान