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*मी वेचू समाजका इतिहास- १२३ पौत्र हैं और चेतसिंह के जेठे भाई लाला शिखरप्रसाद के दत्तक पुत्र लाला फुलजारीलाल रईस थे। उनके दत्तक पुत्र मिजाजीलाल हैं और उनके औरस पुत्र ऋषभदास हैं उनका एक छोटा पुत्र है। ये तो सन्तान-दर-सन्तान चले आये। अब तक वंश मौजूद है। और भी इन्हीं भगवंत सिंह की संतान कुछ चली कुछ छुट गई। वे ये हुयेमहताबराय, ग्यादीन, शिवदीनसिंह, सदासुख, वीरशाह, किशनसिंह, खुशहालसिंह ( कविता करते थे)। जवाहरलाल, कुन्दनलाल, दौलतसिंह, प्राणनाथ, उम्मेदराय, सोवरदानीलाल के दत्तक पुत्र बनवारीलाल। वंशोधर के भी दत्तक पुत्र हैं-डूंगरमल, सुमेरदास, नृपतिसिंह, महाराजसिंह इत्यादि। भगवंतसिंह कानूगो का सिजरा कहा। कानूगो के नाम से मुहल्ला कानगो बोला जाता है।
चोथो वंशावली में भगवन्त सिंह ( भगुन्त राय) के पुत्रों के नामों का मिलान इस सिजरा से बहुत कम पाया जाता है। इससे हम ऐसा समझते हैं, उन्होंने नाती, पोता तो लिखे नहीं हैं किन्तु पुत्र लिखे हैं। सो कुछ तो पुत्र पोता के नाम मिला दिये, कुछ उर्फ नाम से भी