________________
३४० * श्री लबेचू समाजका इतिहास * राज्य स्थापित करनेके लिये अंग्रेजों से जुदी मांग रखी और हिन्दू-मुसलमानोंमें खूब लड़ाई हुई। लाखों आदमी मारे गये। भारतवर्षमें सब जगह लड़ाई हुई। प्रजामें तब लाहोर, कराँची, मुलतान, रावलपिंडी, काश्मीर सब जगह युद्ध पारस्परिक हुआ। तब इधर-से-उधर और उधर-से-इधर लाखों मनुष्य शरणार्थी आये और गये कुटुम्ब-के-कुटुम्ब । ___ हम जब एक कामसे गाजियाबादसे मुजफ्फरपुर गये । खतोलीकी तरफ सैकड़ों घर टीन और काठके दूकानके रूपमें बनाये गये और उनमें शरणार्थी रहते देखे । उस समय और बहुतसे क्षत्रिय (खत्री) हिन्दू, इटावा, आगरा, ग्वालियर, भिंड सत्र जगहमें बसे हैं। ऐसे समयमें जहाँ जिसकी सोंक समाती है वहीं घुस बैठता है। उपद्रवके समय ऐसे ही द्वारका भस्म हुई। उस समय द्वारकाके निकटके हरिवंशी, यदुवंशी चलकर बहुतसे बसे । और ऐसे ही कारण पा फिर ये यदुवंशी लमकाञ्चन देश छोड़ मारवाड़ तरफ आये, जो मुख्य प्रदेश, नागोर, साँभर, नागदा आदिमें बसे । यह अणुवय प्रदीप ग्रन्थ श्री प्रोफेसर