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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
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सोमदेव लमेचके पुत्र वासाधर मन्त्री थे । इस सब कथनसे चन्द्रवारमें लमेचुओं चोहानोंका ही सम्बन्ध पाया जाता है राजा भदावर और लम्बेचओंका घनिष्ठ सम्बन्ध अबतक पाया जाता है । हम पहिले भी लिख आये हैं पान्ने में शिखरचन्द संघी लमेच संवत् २००५ तक रहे हैं। ज्यादा क्या दिग्दर्शन करावें ।
उस समय चोहान वंशी राजाओंका राज्य था । १०५३ । ५६ की प्रतिमाओं के लेख के विषय में था । वहाँ से १२०१ प्रतिमा लेख से लम्बकञ्चुकान्वय लमेचू वंश १४२८ तक लिपिवद्ध है तो पल्लीवाल कहाँसे कूद पड़े । यह बात निर्मूल है और कोई प्रमाणित सवृत करें तो देखेंगे। क्योंकि स्वयं अपने लेख में फिरोजाबाद के छिपेटी मुहल्लावाली श्यामवर्ण को प्रतिमाका लेख दे रहे हैं जिसमें स्पष्ट रीतिसे विक्रम सं० १४२८ वर्षे ज्येष्ठ सुदी १५ शुक्रे काष्ठासंघे माथुरान्वये और उसी कुछ मुनियोंके नामके अंगाडी रामचन्द्र दे लम्बकञ्चुकान्वये श्रीचन्द्रपाटदुर्गे इत्यादि है अनेकान्तपत्र वर्ष ८ किरण ८६ इसमें षट्कर्मोपदेशग्रन्थकं लेखों में भी १४६८ वर्षे (पे० ३४६ में) ज्येष्ठ कृष्णपञ्चदश्यांशुक्रवासरे