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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३६६ वीसल मण्डलिक राजा हुए लिखा है। सो वीसलसे ( विग्रहराज ) समझना और मण्डलिकसे मण्डलिक राजा महान् राजा समझना। हम ऊपर लिख आये हैं कि राजा मण्डलीक को राणा कुम्भा ( कुम्भकर्ण ) की बहिन व्याहो थी। राणा कुम्भा सिसोदिया गुहिल कुलके थे और मण्डलिक राजा चोहान थे। इन्ही मण्डलिक राजाके बनवाये जिन-मन्दिर गिरनार पर्वत पर हैं, उनमें से कुछ जैन श्वेताम्बरोंके तरफ, कुछ दिगम्बरोंके और अम्बादेवी। जो श्रीनेमिनाथ भगवान्की जिन शासनदेवी, जिन शासन माननेवाली, जिन शासनकी रक्षामें सहायक, जिन पदकी सेविका श्री बृहत् हरिवंश पुराणमें लिखा है तथा आशाधर प्रतिष्ठा पाठमें, प्राचीन मूर्तियोंमें, दाहिनी बगलमें, यक्ष, चमर, ढोरसे खड़े पाये जाते हैं। और बाई तरफ चौबीसों यक्षिणियोंकी मूर्ति खड़ी चमर ढोरती पाई जाती है और इनका स्वरूप, वाहन शस्त्र आदिसे श्वेताम्बरसे पृथक् जुदा स्वरूप मिलता है। श्रीनेमिनाथ भगवान्की मूर्तिके दोनों बगलमें लिखा
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