________________
भी लँबेचू सगाजका इतिहास *
हालू , चन्द्रराज, कल्हण, कुन्तल, महादेव-ये सब हाड़ा चोहानकी शाखामें हुए और चोहान नागोरसे साँभर आये। बादको साँभरसे अन्तरवेद, चन्दवाड़, इटावा, वकेउर, रपरी, जाखन, कोटरा, मैनपुरी, विक्रमपुर, प्रतापनेहर, चकनगर तथा जशवन्तनगर, कुरावली, सकरोलीमें बसे। फिरोजशाहसे लड़ाई हुई । तब इनकी मदद राणा रत्नसिंह करने आये । रत्नसिंहको रतसी भी कहते हैं और राणा सांगा ( संग्रामसिंह ) की मददको बाबरके विरुद्ध अन्तरवेद चोहान माणिचन्द चन्दभान गये। ये ऊपर लिख आये हैं और सांधिविग्रहिक को अर्थात् सन्धि और विग्रह करानेमें ऐसे ही पुरुष निपुण, चतुर ( दुर्लभ ) कहलाते हैं। ऐसे दुर्लभ पुरुष चोहानोंमें ३ हुए और ( विग्रहराज ) युद्ध करानेमें चतुर ऐसे पुरुष चोहानोंमें ४ हुए, जिन्हें वीसलदेव कहते हैं और पृथ्वीराज चोहानोंमें ३ हुए।
और आखिरी चोहान सम्राट (भारत सम्राट या हिन्दुस्थान सम्राट् ) पृथ्वीराज ३ तीसरे थे और चोहानोंमें मण्डलिक राजा भी कई हुए। जो चौथी वंशावलीमें राणा