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३६२ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * लमेचू वंश थे पल्लीवाल नहीं और जो श्रीमान् पं० परमानन्दजी शास्त्रीने अनेकान्त पत्र में वर्ष ८ किरण ८-६ में जो लिखा है कि १४५४ संवतमें चौहानवंशी सारंग नरेन्द्र राजा सांभरी रायके पुत्र राज्य कर रहे थे। उस समय चन्द्रवाड़में उनके मन्त्री वासाधर जैसवाल वंशी सोमदेव श्रेष्ठीके पुत्र थे जिनकी प्रेरणासे कविवर धनपालने 'वाहुवलि चरित' रचा सो ये वासाधर भी ममेचू थे जैसवाल नहीं। देखो जैन मित्रकी फाइल जैन मित्र गुरुवार बैशाख वदी १ श्री वीर सं० २४५१ के अंकमें पेज ३३७ श्री पू० ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजीने लिखा हैअप्रकट श्रीवईमानपुराण संस्कृत मुनि पद्मनन्दिकृत
सूरत गोपीपुराके मन्दिर श्री दिगम्बर जिन मन्दिरके बड़े संस्कृत भण्डारमें जिसका प्रबन्ध भाई नगीनादास करमचन्द नरसिंहपुरा करते हैं ( नरसिंहपुरा) गोत्र (सिंहीपुरा) का नाम हो । वहाँ एक श्रीपद्मनन्दि मुनिकृत वईमानपुराण संस्कृत है, जिसके पेज पत्रे १५ हैं व सर्ग २ हैं। पहिलेमें ३१८ श्लोक दूसरे सर्गमें २२४ श्लोक हैं। जिसके मंगलाचरणका श्लोक यह है-स्वच्छन्दं क्रीडतोयत्र चिदानन्दौ परस्परम् , जगत्रयैक पूज्याय तस्मै सिद्धा