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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३४३ जिलेमें ) है उसको जड़से उखाड़ डाला नाडोल के चोहानों के वंशज कोतू (कीर्तिपालने) मेवाड़ को थोड़े समय के लिये ले लिया था जिसका बदला लेने के लिये ।
नडुलमूलं कखवाहुलक्ष्मी स्तुरुष्क सैन्यार्णवकुंभयोनि अस्मिन् सुराधीश सहासनस्थे
ररक्षभूमीमथ जैत्रसिद्धः ॥ ४२ ॥ ( हम्मीरपद मर्दन नाटक ) जयसिंह मूरि श्वेताम्बर जनकृ० (हम्मीर) सुलतानका नाम था मुसलमान था उसका मद मर्दन उसी सुलतान सुरत्राणको तुरुष्क भी लिखा है।
ये जैत्रसिंह तो सीसोदियोंमें थे और जैत्रसिंह के समय नाड़ोल और जालोर के राज्य मिलकर एक हो गये थे और उक्त (कीतू) कीर्तिसिंहके पौत्र उदयसिंह उस समय सारे राज्य का स्वामी था। उदयपुर, चित्तौड़ आदिका उदयपुर से चार मील पर चीर वा गांव है यहां भी चोहानो का ही राज्य था। (कीत्त) कीर्तिसिंहको (कीर्तिपाल) भी कहते । इनका समय विक्रम संवत् १२१८ के शिला लेख से विदित है कि नाडोल, जोधपुर राज्यके गोड़वाड़