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३५८ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * प्रधान हारुल (हाहुलराय) थे। ये राव्रत गोत्रीय लमेचू थे आप ही के लेखमें इसी भाष्कर केमे ८ वे पेजमें दूसरी तरफ पाषाणकी श्यामवर्ण २ फुटकी छिमेटी मुहल्लाकी मूर्तिके लेखमें रामचन्द्र लम्बकंचुक कान्वये (लमेचू) श्री चन्द्रपाट दुर्गनिवासिनः राउत गयो (गाऊ) पुत्र महाराज . तत्पुत्र राउत होतमीतत्पुत्र चुन्नीदेव इत्यादि लेख है। सो इन्हीं रामसिंह हारुलके वंशके राउत गोत्रीय लम्बेचुओं के वंशधर कभी राजा कभी मंत्री होते आये ।
यह साबित है राजा भरतपाल १३१३ विक्रम संवत् में भी राजा भरतपाल साभरी नरेश राउत गोत्रीय लमेचू थे जो भोगीरायकी पुरानी कविताका कहे हुये कवित्तसे भी साबित है जो हम अपर राउत गोत्रकी कवितामें लिख आये हैं। पुराने कवित्तोंमें ऊपर रावत गोत्रमें गाऊ रावतका कथन आया है इन्हीं राजाचन्द्र पालसे प्रचलित चन्दोरिया गोत्रमें ही इटायेवाले चन्दोरिया गोत्र है जो इटावेमें कन्नपुरा मुहल्ला जो जमुना किनारे पर टेकसी मन्दिरके पास है कन्नपुरामें भी जिन मंदिर है उसमें भी देसी पाषाणका पत्थर है उसमें खड़गासन उकेरी छोटी