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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास #
दुष्ट शिष्ट शिक्षणरक्षणदक्षत्वतस्तलारक्षं श्रीमथन सिंह नृपतिचकार नागद्रह दंगे || १० ||
लता।
(चीरवेका शिला लेख ) अब टांटरड जाति प्रायः नष्ट सी हो गई । लिखा है मुझे ऐसा मालूम होता है कि यह टांडरड जाति भी एक चोहानोकी ही शाखा थी कारण । (सीसोदे सरदारों का) और चोहानोंका बहुत कुछ सम्बन्ध पाया जाता है। कहीं तो विवाह सम्बन्ध और कहीं स्वामी सेवक सम्बन्ध इसीसे उन मथनसिंहने उद्धरण को तलारक्षण (कोतवाल) बनाया और ऐसा भी अनुमान होता है कि इस टांटरड जातिका निकास सम्बन्ध टांटेबाबू गोत्रसे पाया जाता है अर्थात् टाँटेबाबू गोत्रसे टांटरड़ जाति बन गई हो और इन्हीं में से तलारक्षक होनेसे पटवारी अललव गोत्र हुआ हो इन उद्धरण देवके ८ पुत्र हुए ।
अष्टावस्थं विशिष्टाः पुत्राअभवत् विवेक पवित्रा तेषुचवभूव प्रथमः प्रथितयशान्योगराजइति ११
ऊपर कहै १० श्लोकका आशय यही है कि दुष्टोंकी शिक्षा देने में और शिष्ट सत्पुरुषों की रक्षा करनेमें निपुण