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* श्री लंबेचू समाजका इतिहास *
जिलेमें के चोहान राजा आल्हणदेव का तीसरा पुत्र था साहसी, वीर और उच्चाभिलाषी होने के कारण अपने ही बाहुबल से जालोर (कंचनगिरि सोनगढ़) का राज्य परमारोंसे छीनकर वह चोहानों की सोनगरा शाखा का मूल पुरुष और स्वतन्त्र राजा हुआ (सिवाणे का किला जोधपुर राज्य में) भी उसने परमारों से छीनकर अपने राज्यमें मिला लिया था। उस समय उसका पिता जीवित था और पिताकी ओरसे १२ गांव की जागीर मिली थी फिर स्वतंत्र हो मेवाड़का राज्य रावल (सीसोदे सरदार) सामन्तसिंह के अधिकारमें था उन सामन्त सिंहने मेवाड़ चित्तोड़का राज्य अपने छोटे भाई कुमारसिंह राणा पदवी के साथ दे दिया था तब कीतूने उनसे लड़कर छीन लिया। उन कीर्तिपालके बाद उनके पुत्र समरसिंह राजा भये । कीतूने मेवाड़का राज्य विक्रम संवत् १२३० और १२३६ में छीना हो । उस समर सिंहके पुत्र उदयसिंह थे जिनक आधीन सारा मेवाड़ राज्य था । यह वृत्तान्त ईस्वी ११८२ शिला लेखसे विक्रम सं० १२३६ से पाया जाता है। सामन्तसिंह भागकर बांगड़ (बडोदा राज्यमें) डूंगरपुर