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*श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
राजा, मारवाड़के राजा कुरु जांगल, पजाबके राजा और म्लेच्छाधिपति मुसलमानी राजा बादशाह सुलतान आदिने जिनका मान भंग न कर पाये अर्थात् सब पर विजय पाया।
इन्हीं जैत्रसिंहने चित्तौड़की कोतवाली योगराजके ४ पुत्रों-पमराज, महेन्द्र, चंपक और क्षेभ-इनमें क्षेभको दी थी। उन रणप्रिय जैत्रसिंह ( जेतसी ) के पुत्र तेजसिंह को उदयसिंह केतू के पौत्रकी पोती ब्याही थी। इन जैत्रसिंहसे और मालवेके परमारवंशी देवपाल, जिनका उल्लेख श्रीपं० आशाधरजीने आशाधर प्रतिष्ठा पाठमें विक्रम सम्बत् १२८५ में किया है। उसी समय यही सुलतान मुगल बादशाह टीपू सुलतान होगा, जो कर्नाटक देश तक पहुंचा है। राजपूतानेके इतिहासमें अल्तमस् शमसुद्दीन गुलाम सुल्तान लिखा है कि इसको भी जीता। इस सुल्तानने ही साम्हर वगैरह प्रदेशों पर इन्हीं में अलाउद्दीन होगा उसने घेरा डाल रखा था। तब आशाधरजीने लिखा है कि महेच्छसेन सपादलक्ष विषये इत्यादि उस समय चित्तौड़, मारवाड़ पर राज्य परमारवंशी राजा देवपालका