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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३३६ उद्भवराव ( उडुमराव ) के १८ पुत्रोंमें सुमेरसिंहक भाइयों में से एक उधरणदेव, दुसरे त्रिलोकचन्द, तीसरे ब्रह्मदेव (विरमदेव )। गजेटियरमें लिखते हैं कि त्रिलोकचन्दने चकनगरकी नींव डाली और राणा अगरसाह (अगरसिंह) ने ही आगरा बसाया हो, तो हो सकता है।
राणा (अगरसाह) ही अगरसेन अप्रसेन हों और यह भी चौहान वंश ही होवे, तो क्या आश्चर्य ? यद्यपि लोग मारवाड़की तरफ अग्रोहा गांवके राजा अग्रसेनसे अग्रवाल कहते हैं इतिहास खोजना चाहिये। मारवाड़ी अग्रवालों का देवड़ा गोत्र है तो देवड़ाके चोहान है । हरिवंशी क्षत्रिय ही में से ५६ करोड़ यादव थे। द्वारावतीमें ही सब सम्भावित नहीं, इधर-उधर भारतवष में सब जगह व्याप्त थे और वि० संवत् १४६ की सालमें लमकाच देश छोड़ मारवाड़की तरफ आये, तो एक-दो मनुष्य थोड़े ही थे करोड़ों मनुष्य, सब जगह, जहाँ जिसकी सीध समाती है, वहीं रह जाता है। जैसे- संवत् विक्रम २००३-२००४ में हिन्दू-मुसलमानों का झगड़ा चला। जिन्ना एक प्रधान व्यक्ति मुसलमानने (पाकिस्तान ) हिन्दुस्तानमें से जुदा