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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
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इटावे जिलेमें हैं और इस रियासतके कुछ गाँव मैनीपुरी जिलेमें भी हैं। परतापनेरके चोहान शासकोंका इटावा, एटा और मैनीपुरीमें सदियों तक दबदबा रहा है। कहते हैं कि सन् ११६३ ईस्वीमें दिल्लीके चोहान राजा पृथ्वीराजकी मृत्युके बाद करनसिंह सिंहासन पर बैठे । करनसिंह ( कर्णसिंह ) के पुत्र हमीरसिंहने रणथंभोरके किलेकी नींव डाली। कालान्तरमें वे इस किलेकी रक्षा ही में वे मारे गये। इनके पुत्र उडुमराव ( उद्भवराव ) ने ६ विवाह किये, जिनसे १८ सन्ताने हुई। ___ उडुमराव जब मरे, तो राज्यका नामोनिशान मिट चुका था। उनकी सन्ताने अपने लिये उपयुक्त स्थानकी खोजमें थी। उन दिनों कानपुर, फरुखाबाद, एटा, इटावा और मैनीपुरीमें मेव लोगोंकी तूती बोल रही थी। सुमेरसिंह जो ( उडुमरावके होनहार बेटे थे) उन्होंने एक छोटी-सी सेनाका संगठन किया और मेवोपर चढ़ाई कर दो। सुमेरसिंहके साथ चोहानोंकी सामान्य सेना थी; पर मेवे उनके सामने न टिक सके (न डट सके)। सुमेरसिंह राजा हुए और राजा होनेपर सुमेर शाह कहलाये। उन्होंने अपनी राजधानी इटावेमें बनायी।